वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्रि (Navratri) का समापन 6 अप्रैल को राम नवमी के दिन होगा। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के साथ हवन और कन्या पूजन किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस बार की चैत्र नवरात्रि 8 दिनों की है। ऐसे जो भक्त प्रतिपदा तिथि से लेकर महानवमी तक उपवास रखते हैं, उनके लिए व्रत के पारण की सही तिथि, समय और नियम जानना जरूरी है। आइए जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि व्रत का पारण कब है और नवरात्रि व्रत का पारण क्या खाकर करना चाहिए।
चैत्र नवरात्रि (Navratri) व्रत का पारण कब है?
पंचांग के अनुसार, चैत्र नवमी तिथि 5 अप्रैल को रात 7:26 मिनट पर शुरू होगी और 6 अप्रैल की रात 7:23 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में चैत्र नवरात्रि व्रत का पारण 6 अप्रैल को किया जाएगा।
9 दिन का नवरात्रि (Navratri) व्रत कब तोड़ना चाहिए?
अष्टमी के दिन तक व्रत रखने वाले नवमी के दिन व्रत का पारण करते हैं। जबकि नवमी के दिन व्रत रखने वाले दशमी के दिन पारण करते हैं। नवरात्रि व्रत तोड़ने के लिए नवमी की समाप्ति के बाद का दिन यानी दशमी तिथि को उत्तम माना जाता है। ऐसे में नवरात्रि व्रत का पारण तब किया जाता है, जब नवमी तिथि समाप्त हो चुकी हो और दशमी तिथि प्रबल हो।
नवरात्रि (Navratri) का व्रत कितने बजे खोलना चाहिए?
चैत्र नवरात्रि में पूरे 8 दिनों तक व्रत रखने वाले जातकों को व्रत का पारण 7 अप्रैल (सोमवार) को दशमी तिथि में करना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति सोमवार का व्रत करता है, तो वह 6 अप्रैल की शाम राम नवमी के बाद पारण कर सकता है, जिससे सोमवार का उपवास रखा जा सके।
चैत्र नवरात्रि (Navratri) पर व्रत कब तोड़ें?
अगर आप सोमवार व्रत रखते हैं और उसी दिन नवरात्रि व्रत का समापन करना चाहते हैं, तो राम नवमी की नवमी तिथि 6 अप्रैल को शाम 07:23 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में आप आप 6 अप्रैल को शाम 7:30 बजे के बाद आप नवरात्रि व्रत का पारण कर सकते हैं।
नवरात्रि (Navratri) व्रत का पारण क्या खाकर करना चाहिए?
नवरात्रि व्रत पारण के समय सात्विक भोजन, हल्का भोजन करना चाहिए। सीधे-सीधे नमक का सेवन न करें। व्रत खोलने के लिए हलवा, मालपुआ खाना शुभ रहेगा। इसके बाद भोग में लगाए पूड़ी, सब्जी को खा सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि (Navratri) व्रत पारण नियम
चैत्र नवरात्रि व्रत का पारण नवमी या दशमी तिथि पर ही करना चाहिए।
चैत्र नवरात्रि व्रत का पारण से पहले स्नान कर पूजा-पाठ करना चाहिए।
नवरात्रि व्रत पारण के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान-दक्षिणा दें।
अगर ब्राह्मण उपलब्ध न हों, तो दान-दक्षिणा की चीजें मंदिर में दान करें।
नवरात्रि व्रत का पारण सूर्योदय के बाद करें और सात्विक भोजन का उपयोग करें।