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शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण, जानें कब रखें चांदनी में खीर

Sharad Purnima

Sharad Purnima

साल का अंतिम चंद्रग्रहण शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) पर पड़ेगा, परंतु इस रात को धरती के नजदीक पहुंचकर 16 कलाओं से सुसज्जित चंद्रमा अमृत वर्षा करता है। जिसको सनातम धर्म से जुड़े परिवार अपने मकानों की छतों पर खीर बनाकर बिना ढक्कन के रखते हैं। चंद्रग्रहण के चलते इस बार खीर को केवल 1.44 बजे तक रखना ही अच्छा माना जा रहा है।

भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा विद्वानों द्वारा आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा जो शरद पूर्णिमा या कोजागारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस बार 28 अक्टूबर दिन शनिवार को है, शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima)  को इस बार ग्रहण लगने व भारत में दृश्यमान होने के कारण उतन्न परिस्थिति, असर व उपाय पर विचार विमर्श हुआ पश्चात ये निर्णय हुआ कि सूतक मान्य होगा ग्रहण रात्रि 1 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगा।

28 अक्टूबर की दोपहर से सूतक-

जिसका मध्यकाल 1.44 और ग्रहण का मोक्ष (समापन) रात्रि 2 बजकर 24 मिनट पर होगा, धर्मग्रंथो के अनुसार चंद्रग्रहण में सूतक 9 घंटे पहले लगता है। अतः यह सायं 4.05 से लग जायेगा अतः सभी मंदिरो के पट इस समय से बंद रहेंगे, अधिकांश भक्तजन पूर्णिमा को श्री सत्यनारायण व्रत रखकर कथा भी सुनते है। उन्हें सायं 4.05 से पूर्व ही समस्त धार्मिक कार्य सम्पन्न कर लेना चाहिए।

मिथुन, कन्या व सिंह के लिए अच्छा रहेगा-

पंडितों के अनुसार अश्विनी नक्षत्र व मेष राशि पर लगने के कारण ये राशि सर्वाधिक प्रभावित रहेगी साथ ही साथ ही कर्क, वृश्चिक व मीन राशि पर भी अशुभ प्रभाव रहेगा, वृषभ, तुला व धनु राशि वालों को ग्रहण का मध्यम फल मिलेगा, मिथुन, सिंह, कन्या, मकर और कुम्भ राशि वालों के लिए ग्रहण शुभ रहेगा।

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) पर रात को अमृत वर्षा-

धार्मिक व पौराणिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के दिन ही समुद्र मंथन से लक्ष्मीजी निकली थी। इस दिन चन्द्रमा 16 कलाओं से युक्त होकर धरती के सबसे नजदीक होता है। चन्द्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इस दिन खीर बनाकर भगवान को अर्पण व चंद्र रोशनी में रातभर रखकर अगले दिन खाने का विधान है। इससे शरीर पूरे वर्ष निरोग व स्वस्थ रहता है व लक्ष्मी की कृपा रहती है।

इस समय रखें चांदनी में खीर-

भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा के विद्वानों ने निर्णय दिया कि शनिवार सांय 4.05 से पहले ही खीर बनाकर उसमें गंगाजल व कुश व तुलसीपत्र डालकर चंन्द्रोदय की रोशनी में रखना चाहिए। इससे वह अशुद्ध नहीं होगा व ग्रहण लगने से पूर्व हटा लेना चाहिए। यानि रात को 1.04 बजे से पहले हटा ले। ग्रहण के बाद उसका सेवन कर लें।

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