Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

जानें कब मनाई जाएगी देव दीपावली, दीपदान का है महत्व

Dev Diwali

Dev Diwali

दिवाली के ठीक 15 दिन बाद देव दीपावली (Dev Diwali ) मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि देव दीपावली के दिन काशी की पवित्र भूमि पर देवता पधारते है। देव गणों के स्वागत में जनमानस देव दिवाली मनाता हैं।

हिंदू धर्म का यह एक प्रसिद्ध उत्सव है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षस त्रिपुरासुर (त्रिपुरासुर) पर भगवान शिव की जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। इसलिए देव दीपावली उत्सव को त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है जो कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर मनाया जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था और देवी लक्ष्मी तुलसी के रूप में प्रकट हुई थीं।

परंपरा के अनुसार,देव दीपावली (Dev Diwali )  पर, भक्त कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर गंगा में पवित्र डुबकी लगाते हैं और शाम को मिट्टी के दीपक या दीये जलाते हैं। जब शाम ढलती है, तो गंगा तट के सभी घाटों की सीढ़ियों लाखों मिट्टी के दीयों से जगमगा उठती हैं। न केवल गंगा के घाट बल्कि बनारस के सभी मंदिर भी लाखों दीयों से जगमगाते हैं।

इस दिन दीप दान और नदी स्नान का बहुत अधिक महत्व है। दीप उन से और नदी स्नान से घर में सुख-समृद्धि आती है और यम, शनि और राहु-केतु का प्रभाव कम होता है।

Exit mobile version