नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर लगातार सुनवाई चल रही है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार से पूछा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे और राज्य का दर्जा कब वापस मिलेगा?
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कोर्ट को बताया कि सरकार से निर्देश मिला है कि लद्दाख स्थायी रूप से केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, जबकि जम्मू-कश्मीर अस्थायी रूप से ही मौजूदा स्थिति में रहेगा। लद्दाख में कारगिल और लेह में स्थानीय निकाय के चुनाव होंगे।
एसजी ने गृह मंत्री के लोकसभा में दिए गए जवाब का हवाला दिया। उसमें अमित शाह ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं है। वहीं जम्मू कश्मीर में विधान सभा चुनाव को लेकर सरकार 31 अगस्त को बताएगी।
धारा 370 को लेकर क्या दी गईं दलीलें?
धारा 370 को हटाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर 12वें दिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने दलीलें आगे बढ़ाईं। इसमें उन्होंने कहा कि हम तीन मुख्य बिंदुओं पर दलील देंगे। इनमें पहला- अनुच्छेद 370 पर हमारी व्याख्या सही है। दूसरा- राज्य पुनर्गठन अधिनियम और तीसरा अनुच्छेद 356 लागू होने पर विधायका की शक्ति के मापदंडों पर।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने कभी भी अनुच्छेद 370 को स्थायी रूप में लाने का इरादा नहीं किया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने की वजह से विशेष राज्य का दर्जा बहाल रखने की दलील भी लचर है क्योंकि जम्मू कश्मीर इकलौता सीमावर्ती राज्य नहीं है।
जम्मू-कश्मीर में सरकार कब करा रही चुनाव: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)
इस दौरान सीजेआई ने सीधे पूछा कि सरकार जम्मू कश्मीर में चुनाव कब करा रही है? सीजेआई ने एसजी तुषार मेहता से वो कानून दिखाने को भी कहा कि उन्हें राज्य के पुनर्गठन की शक्ति कहां से मिली? मेहता ने अनुच्छेद तीन के हवाले से बताया कि संसद को किसी राज्य की सीमा तय करने और केंद्रशासित प्रदेश बनाने के अधिकार हैं। सीजेआई ने पूछा कि आपने एक ही केंद्रशासित प्रदेश क्यों नहीं रहने दिया? जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो क्यों बनाए?
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जस्टिस संजय किशन कौल ने पूछा कि अगर आप लद्दाख को अलग किए बिना पूरा ही केंद्र शासित प्रदेश बनाते तो क्या असर होता? एसजी मेहता ने कहा कि पहले अलग करना अनिवार्य और अपरिहार्य है। असम और त्रिपुरा को भी पहले अलग कर केंद्र शासित प्रदेश ही बनाया गया था। एक स्टेट को केंद्र शासित प्रदेश नहीं घोषित किया जा सकता। सीजेआई ने कहा कि चंडीगढ़ को पंजाब से ही विशिष्ट तौर पर अलग कर केंद्रशासित बनाकर दोनों राज्यों की राजधानी बनाया गया।