हिंदू धर्म में प्रदोष (Pradosh) व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है। साल 2025 में आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है—पहला कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को। साल 2025 में सितंबर में पड़ने वाला प्रदोष व्रत शुक्र प्रदोष व्रत है। यह सितंबर माह का दूसरा प्रदोष व्रत होगा।
सितंबर का दूसरा प्रदोष (Pradosh) व्रत इसलिए भी खास है क्योंकि यह व्रत पितृ पक्ष के दौरान पड़ रहा है। आइए जानते हैं सितंबर में कब पड़ेगा दूसरा प्रदोष व्रत और पितृ पक्ष में इसकी पूजन विधि।
आश्विन माह कृष्ण त्रयोदशी 2025 तिथि
त्रयोदशी तिथि की शुरुआत: 18 सितंबर 2025, गुरुवार, रात 11:24 बजे
त्रयोदशी तिथि का समापन: 19 सितंबर 2025, शुक्रवार, रात 11:36 बजे
प्रदोष (Pradosh) काल में पूजा का समय
इस दिन प्रदोष काल में पूजा का समय शाम 6:21 मिनट से रात 8:43 मिनट तक रहेगा। कुल अवधि 2 घंटे 27 मिनट की होगी।
पितृ पक्ष में पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव के साथ-साथ पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसे पितरों की शांति और मोक्ष के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
शुक्र प्रदोष (Shukra Pradosh) व्रत का महत्व
प्रदोष (Pradosh) व्रत रखने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, इस बार यह व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है। मान्यता है कि इस दिन यदि पति-पत्नी दोनों साथ मिलकर यह व्रत करें तो दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है। वहीं, अविवाहित लोगों को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त हो सकता है।
शुक्र प्रदोष (Shukra Pradosh) व्रत पूजन विधि
– त्रयोदशी तिथि के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत संकल्प लें।
– पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
– पूजा स्थान पर शिवलिंग स्थापित करें।
– शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं।
– चंदन का लेप लगाएं और बेलपत्र, धतूरा व फूल अर्पित करें।
– भगवान शिव और माता पार्वती को सफेद मिठाई और फल का भोग लगाएं।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
– प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें।
– शिव-पार्वती की आरती करें।








