सनातन धर्म में प्रदोष (Pradosh) व्रत को बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। वैसे ही इस दिन को भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है लेकिन सावन मास के प्रदोष की महिमा का बखान शास्त्रों में भी मिलता है। इस दिन में शिव के साथ माता पार्वती की पूजा की तो आपके सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है।
हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रदोष व्रत को बहुत शुभ माना जाता है। यह व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन महादेव के साथ देवी पार्वती की भी विधिवत पूजा करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर विवाहित महिलाएं प्रदोष व्रत के दिन देवी पार्वती को कुछ विशेष चीजें अर्पित करें तो उनका दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है।
सावन का पहला प्रदोष (Pradosh) व्रत
इस बार सावन माह 2025 की शुरुआत 11 जुलाई से हो गई है ये माह 9 अगस्त तक रहेगा। इस माह के प्रदोष शिव के प्रमुख व्रतों में से एक माने जाते हैं। इस बार पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी मंगलवार 22 जुलाई को पड़ेगा इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। 22 जुलाई को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर त्रयोदशी तिथि आरंभ होगी। मंगलवार के दिन होने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहा जाता है। मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत करने से मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव में कम हो जाते हैं।
सावन का दूसरा प्रदोष (Pradosh) व्रत
वहीं दूसरा व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी बुधवार को 6 अगस्त को रखा जायेगा। इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। दोपहर 2:08 बजे तक द्वादशी तिथि रहेगी, उसके बाद त्रयोदशी तिथि शुरू होगी। नक्षत्र मूल होगा, जो दोपहर 1:00 बजे तक रहेगा, उसके बाद पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र शुरू होगा। योग वैधृति होगा, जो सुबह 7:18 बजे तक रहेगा, उसके बाद विष्कुंभ योग शुरू होगा।
कैसे करें व्रत का पारण
इस दिन पूजा के पश्चात भगवान को भोग अर्पित करने के बाद है आप भी व्रत का पारण करें। इस व्रत में मीठा खाना ही ग्रहण करना है वो सफेद हो तो और अच्छा लेकिन इस दिन नमक खाना वर्जित है। प्रदोष (Pradosh) व्रत के दिन इस प्रकार पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। परिवार में सुख-समृद्धि आती है वहीं संतान भी उत्तम होती है।