मुहर्रम (Muharram) इस्लामिक यानी हिजरी कैलेंडर का पहला महीना होता है। इस महीने से ही इस्लामिक नए साल की शुरुआत होती है, इसलिए इस महीने को बेहद खास माना जाता है। मुहर्रम को इस्लाम के चार सबसे पाक महीनों में से एक माना जाता है। मुहर्रम का महीना बकरीद के 20 दिन बाद शुरू होता है। साल 2025 में मुहर्रम की तारीख को लेकर कंफ्यूजन बनी हुई है कि आखिर ये महीना कब शुरू होगा। आइए आपको बताते हैं कि मुहर्रम का चांद कब दिखेगा और इस महीने की अहमियत।
इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम (Muharram) का होता है। ऐसे में नए चांद के दिखने पर ही इस महीने की शुरुआत होगी। ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि 2025 में मुहर्रम 27 जून 2025 (शुक्रवार) की शाम से शुरू होगा। हालांकि, इसकी कंफर्म तारीख चांद के दीदार पर ही निर्भर करती है।
पहला मुहर्रम (शुरुआत) – 27 जून 2025 (शुक्रवार की शाम)
10 मुहर्रम (आशूरा) – 6 जुलाई 2025 (रविवार)
9 और 10 मुहर्रम (Muharram) को क्या हुआ था?
इस्लाम में मुहर्रम का 9वां और 10वां दिन बेहद अहमियत रखता है। इन्हीं दिनों ‘कर्बला की जंग हुई थी। मुहर्रम महीने के 10वें दिन को यौम-ए-आशूरा भी कहा जाता है। आशूरा के दिन को पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत के रूप में मनाया जाता है, जो कर्बला की जंग में शहीद हो गए थे।
इस्लाम में आशूरा का दिन
आशूरा का दिन सुन्नी और शिया दोनों मुसलमानों के लिए अहम है। हालांकि उनके लिए इसका मतलब अलग-अलग है। सुन्नी मुसलमानों का मानना है कि आशूरा वह दिन है जब अल्लाह तआला ने हजरत मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी कौम को फिरौन और उसकी सेना से बचाने के लिए लाल सागर को दो हिस्सों अलग कर दिया था।
वहीं, शिया मुसलमानों का मानना है कि आशूरा वह दिन है जब इमाम हुसैन, जो पैगंबर मुहम्मद साहब के नवासे थे, और उनके कई साथियों को 680 ईस्वी में कर्बला की जंग में शहीद कर दिया गया था। आशूरा के दिन सुन्नी मुसलमान रोजा रखते हैं और अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं, जबकि शिया मुसलमान आशूरा के दिन इमाम हुसैन की शहादत का मातम मनाते हैं।