ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व माना गया है, क्योंकि इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है। ऐसे में इस महीने में जल का दान करना और निर्जला उपवास करना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायी होता है। हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर निर्जला एकादशी का उपवास किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि निर्जला उपवास को करने से सालभर सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसी कारण निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) को अत्यंत पावन माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) पर व्रत रखने से सालभर की सभी 24 एकादशी के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। आमतौर पर निर्जला एकादशी का उपवास 24 घंटे का होता है, लेकिन इस साल यह तिथि और ज्यादा लंबी होगी।
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) तिथि कब तक रहेगी?
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 6 जून को सुबह 2:15 बजे शुरू होकर 7 जून को सुबह 4:47 बजे तक समाप्त होगी। इस बार निर्जला एकादशी तिथि करीब 24 घंटे तक रहेगी और दोनों ही दिन उदयातिथि का संयोग बन रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब एकादशी दो तिथियों पर पड़ती है, तो गृहस्थ जनों को पहले दिन व्रत करना चाहिए।
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) व्रत पारण समय
इस बार निर्जला एकादशी व्रत का समय बढ़कर 24 घंटे से ज्यादा की हो गया है, क्योंकि इस व्रत का पारण अगले दिन सुबह में नहीं बल्कि दोपहर में किया जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत पारण का समय 7 जून 2025 को दोपहर 1:44 बजे से लेकर शाम 4:31 बजे के बीच रहेगा। इस दिन व्रत करने वाले गृहस्थ लोगों के लिए निर्जला एकादशी का व्रत 32 घंटे तक रहेगा।
सन्यासियों के लिए एकादशी (Nirjala Ekadashi)
जो लोग संन्यासी बनने के मार्ग पर हैं या मोक्ष की कामना रखते हैं, वो लोग 7 जून को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत रख सकते हैं। वैष्णव संप्रदाय और इस्कॉन मंदिरों में 7 जून का दिन एकादशी के रूप में मान्य होता है। 7 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले 8 जून 2025 को सुबह 5:23 बजे से लेकर सुबह 7:17 बजे के बीच व्रत का पारण कर सकते हैं।
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) व्रत से पहले क्या करें?
एकादशी व्रत की शुद्धता बनाए रखने के लिए व्यक्ति को दशमी तिथि की शाम से ही अनाज का सेवन बंद कर देना चाहिए, जिससे एकादशी के दिन व्रत की शुरुआत के समय शरीर में अन्न का कोई अंश न हो। अगर घर में कोई सदस्य व्रत न भी रख रहा हो, तब भी एकादशी पर घर में न तो चावल बनाने चाहिए और न ही किसी को खाने चाहिए।