बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर स्मारक और सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लोकभवन पहुंच गए हैं। यहां उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज लोग राजनीति करते हैं।
हिंदू-मुस्लिम करते हैं, लेकिन बाबा साहब भीम राव अंबेडकर हमेशा कहा करते थे कि भारत में रहने वाला हर शख्स पहले और बाद में भी केवल भारतीय है। राष्ट्रपति ने योगी सरकार की तारीफ भी की। कहा मौजूदा सरकार बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के विचारों को आगे बढ़ा रही है।
बाबा साहब के ‘विजन’ में चार बातें सबसे महत्वपूर्ण रहीं हैं। ये चार बातें हैं – ‘नैतिकता’, ‘समता’, ‘आत्म-सम्मान’ और ‘भारतीयता’। इन चारों आदर्शों तथा जीवन मूल्यों की झलक बाबासाहब के चिंतन एवं कार्यों में दिखाई देती है।
बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर एक शिक्षाविद, अर्थ-शास्त्री, विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, समाज-शास्त्री व समाज सुधारक तो थे ही, उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है।
भारतीय संविधान के शिल्पकार होने के अलावा, हमारे बैंकिंग, इरिगेशन, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, लेबर मैनेजमेंट सिस्टम, रेवेन्यू शेयरिंग सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था आदि सभी क्षेत्रों पर डॉक्टर आंबेडकर के योगदान की छाप है।
भारत सरकार द्वारा बाबा साहब से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों को तीर्थ-स्थलों के रूप में विकसित किया गया है। महू में उनकी जन्म-भूमि, नागपुर में दीक्षा-भूमि, दिल्ली में परिनिर्वाण-स्थल, मुंबई में चैत्य-भूमि तथा लंदन में ‘अंबेडकर मेमोरियल होम’ को तीर्थ-स्थलों की श्रेणी में रखा गया है।
लखनऊ शहर से बाबा साहब अंबेडकर का भी एक खास संबंध रहा है, जिसके कारण लखनऊ को बाबा साहब की ‘स्नेह-भूमि’ भी कहा जाता है। बाबा साहब के लिए गुरु-समान, बोधानन्द जी और उन्हें दीक्षा प्रदान करने वाले भदंत प्रज्ञानन्द जी, दोनों का निवास लखनऊ में ही था।
बाबा साहब, आधुनिक भारत के निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के पक्षधर थे। वे महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के लिए सदैव सक्रिय रहे। बाबा साहब द्वारा रचित हमारे संविधान में आरंभ से ही मताधिकार समेत प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं।
आज महिलाओं के संपत्ति पर उत्तराधिकार जैसे अनेक विषयों पर बाबा साहब द्वारा सुझाए गए मार्ग पर ही हमारी विधि-व्यवस्था आगे बढ़ रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बाबा साहब की दूरदर्शी सोच अपने समय से बहुत आगे थी।
लोकसभवन में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद।
लोकसभवन में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद।
राष्ट्रपति के दौरे का आखिरी दिन
उत्तर प्रदेश के पांच दिवसीय दौरे का आज आखिरी दिन है। भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास करने के बाद शाम 4:30 बजे रामनाथ कोविंद परिवार के साथ विशेष विमान से दिल्ली वापस लौट जाएंगे।
1.4 एकड़ में बनेगा अंबेडकर स्मारक और सांस्कृतिक केंद्र
यूपी सरकार के द्वारा राजधानी लखनऊ के ऐशबाग क्षेत्र में 1.4 एकड़ जमीन पर भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र बनाया जाएगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राज्यपाल और आनंदीबेन की मौजूदगी में शिलान्यास करेंगे।
ये होंगी सुविधाएं
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 25 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। बाबा साहेब की पवित्र अस्थियों का कलश दर्शन के लिए स्थापित किया जाएगा। यहां पर पुस्तकालय, शोध केंद्र, 750 लोगों की क्षमता का अत्याधुनिक प्रेक्षागृह और आभासी संग्रहालय का निर्माण भी किया जाएगा। इसके अलावा डॉरमेट्री, कैफिटेरिया, भूमिगत पार्किंग सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं भी मिलेंगी। संस्कृति विभाग की ओर से अंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण कराया जाएगा।
यूपी के पांच दिवसीय दौरे पर आए थे राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रेसिडेंशियल ट्रेन से 25 जून को दिल्ली से अपने पैतृक गांव कानपुर देहात पहुंचे थे। 26-27 जून को राष्ट्रपति ने कानपुर में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया था। इस बीच दो कार्यक्रमों में उन्होंने अपना संबोधन दिया था। इसके बाद वह अपने मित्र केके अग्रवाल से भी मिलने गए थे। 28 जून को राष्ट्रपति प्रेसिडेंशियल ट्रेन से कानपुर से लखनऊ पहुंचे थे।