शिक्षा डेस्क. भारत में लोग व्रत में साबूदाने से बनी चीजों का उपयोग सदियों से करते आ रहें हैं. यह छोटे-छोटे मोती की तरह सफ़ेद और गोल होते हैं.साबूदाना में विटामिंस, कार्बोहाइड्रेट, खनिज, आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये खाने में भी स्वादिष्ट होते हैं. पर क्या आप जानते हैं की साबूदाना आखिर कहाँ से आता हैं और कैसे बनता है? नहीं, तो आइये आज आपको बताते हैं…
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इस पेड़ के तने से बनता है साबूदाना
साबूदाना (sago) किसी अनाज से नहीं बनता है, बल्कि यह सागो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पेड़ होता है। ये मूलरूप से पूर्वी अफ्रीका का पौधा है। इस पेड़ का तना मोटा हो जाता है और इसके बीच के हिस्से को पीसकर पाउडर बनाया जाता है। इसके बाद इस पाउडर को छानकर गर्म किया जाता है जिससे दाने बन सके। साबूदाना के निर्माण के लिए एक ही कच्चा माल है ‘टैपिओका रूट’ जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘कसावा’ के रूप में जाना जाता है। कसावा स्टार्च को टैपिओका कहा जाता है।
ऐसे बनता है साबूदाना
भारत में साबूदाना टैपिओका स्टार्च से बनाया जाता है। Tapioca स्टार्च को बनाने के लिए कसावा नामक कंद का इस्तेमाल किया जाता है जो बहुत हद तक शकरकंद जैसा होता है। इस गूदे को बड़े-बड़े बर्तनों में निकालकर आठ-दस दिन के लिए रखा जाता है और रोजाना इसमें पानी डाला जाता है। इस प्रक्रिया को 4-6 महीने तक बार-बार दोहराया जाता है। उसके बाद बनने वाले गूदे को निकालकर मशीनों में डाल दिया जाता है और इस तरह साबूदाना प्राप्त होता है, जिसे सुखाकर ग्लूकोज और स्टार्च से बने पाउडर की पॉलिश की जाती है और इस तरह सफेद मोतियों से दिखने वाले साबूदाने बाजार में आने के लिए तैयार हो जाते हैं।
इन गुणों से भरा है साबूदाना
इसमें कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में पाया जाता है और कैल्शियम और विटामिन-सी की कुछ मात्रा भी मौजूद होती है। इसी कारण व्रत में इससे बनी चीजें खाने का चलन बढ़ता गया है। इससे खिचड़ी, हलवा, चाट आदि व्रत वाली रेसिपीज बनाई जाती है।