नई दिल्ली। अमेरीकी कंपनी गिलीएड की रेमडेसिविर दवा को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह दवा कोरोना मरीज की जान बचाने में ज्यादा सक्षम नहीं है। WHO ने हाल में किए अपने क्लीनिकल परीक्षण में पाया कि रेमडेसिविर की सहायता से कोविड-19 मरीज के अस्पताल में रहने की अवधि और जीने की संभावना बहुत कम और न के बराबर है।
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शुरुआत में कोरोना के इलाज के लिए इसी एंटीवायरल दवा का इस्तेमाल किया गया था। हाल ही में कोरोना वायरस से रिकवर हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इलाज में भी इस दवा का इस्तेमाल किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चार संभावित दवा रेजीमेंट पर परीक्षण किया था। इसमें रेमडेसिविर, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, एंटी एचआईवी ड्रग कॉम्बिनेशन लोपिनाविर-रिटोनाविर और इंटरफेरॉन शामिल हैं। इस परीक्षण में 30 देशों के 11,266 व्यस्क मरीजों को भी सम्मिलित किया गया था। अध्ययन में पाया गया कि कोरोना का इलाज कराने अस्पताल में लंबी अवधि के लिए भर्ती मरीजों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है।
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WHO की प्रमुख सौम्या स्वामीनाथन ने बुधवार को कहा कि शोध के दौरान, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनाविर-रिटोनाविर को जून में रोक दिया गया था। जब पता चला कि ये दवाई असरदार नहीं हैं, लेकिन दूसरे परीक्षण अन्य 500 अस्पतालों और 30 देशों में लगातार चलते रहे।
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एक मई को अमेरिका के फूड और ड्रग प्रशासन ने रेमडेसिविर को अमेरिका इमरजेंसी में इस्तेमाल करने के लिए मंजूरी दी थी, जिसके बाद इसे कई देशों में आधिकारिक तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।