दुनियाभर में अब तक 5.72 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 3.96 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13.64 लाख लोगों की जान जा चुकी है। अब 1.61 करोड़ मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है, यानी एक्टिव केस। ये आंकड़े www.worldometers.info/coronavirus के मुताबिक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि दुनिया के जिन देशों के अस्पतालों में संक्रमितों के इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल हो रहा है, उन्हें फौरन इसे रोकना चाहिए। संगठन के मुताबिक, इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि यह दवा कोरोना के इलाज में मददगार है।
ट्रम्प के इलाज में इस्तेमाल हुई थी रेमडेसिविर
‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने इलेक्शन कैम्पेन के दौरान जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प संक्रमित हुए थे तो उनके इलाज में रेमडेसिविर का इस्तेमाल किया गया था। अब WHO इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने की सलाह दे रहा है।
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गुरुवार को जारी बयान में WHO ने कहा- हमारी गाइडलाइन कमेटी यह सलाह देती है कि अगर रेमडेसिविर का अस्पतालों में इस्तेमाल किया जा रहा है तो इसे बंद कर देना चाहिए। हमें इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि कोविड पेशेंट्स के इलाज में यह कारगर है। WHO की सलाह कई लोगों को चौंका सकती है। दरअसल, कई देशों के मेडिकल साइंटिस्ट्स ने साफ तौर पर इसके इस्तेमाल की सलाह दी है।
चीन में 10 लाख लोगों को वैक्सीन
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कोरोना वैक्सीन पर दुनिया के सभी देशों से सहयोग करने की अपील की है। इस बीच, खबर है कि चीन ने अब तक अपने देश के करीब 10 लाख लोगों को ‘सायनोफार्म’ वैक्सीन लगा भी दिया है। चीन के सरकारी अफसर ज्यादातर बातों की जानकारी मीडिया को नहीं देते, लेकिन वैक्सीन दिए जाने की खबर की उन्होंने पुष्टि की है। जिनपिंग ने गुरुवार को एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन की मीटिंग में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा- वायरस से निपटने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि हम सभी देश मिलकर इसके वैक्सीन और दवाओं पर काम करें। इस बारे में एक दूसरे पर इल्जाम लगाने से खतरा कम होने के बजाए बढ़ता जाएगा।
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डॉक्टर को कब संपर्क करें
- जब ऑक्सीजन (सैचुरेशन) का स्तर सामान्य से तीन फीसद या इससे ज्यादा कम हो जाए।
- जब हल्के-फुल्के काम के बाद भी सांस लेने में तकलीफ होने लगे।
- उदाहरण के लिए, 5-6 मिनट चलने पर भी सांस फूलने लगे।
- कई मरीज आरबीसी में ऑक्सीजन की कमी से तो जूझ रहे होते हैं, लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई देता। इसलिए ऑक्सी मीटर से समय-समय पर खुद की जांच करते रहें।
कतई न करें नजरअंदाज
- कई मरीज ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से तीन प्रतिशत से ज्यादा गिरने के बावजूद घर पर ही रुके रहते हैं।
- इसके कारण कोरोना संक्रमण की जटिलता बढ़ जाती है।
- ऑक्सीजन कम होने से सबसे पहले फेफड़े प्रभावित होते हैं।
- दिल और दिमाग पर भी इसका गंभीर असर पड़ता है।
- यहां तक कि मरीज के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं।
- इन कारणों से मरीज की मौत की आशंका बढ़ जाती है।