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इस बार कौन होगा हैदरगढ़ का कर्णधार?

रायबरेली। हैदरगढ़ विधानसभा (Haidergarh) क्षेत्र रायबरेली व सुल्तानपुर जिले का सीमावर्ती क्षेत्र है। यह क्षेत्र उस समय अधिक आकर्षण का केन्द्र बन गया। जब सन 1996 के चुनाव में कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी सुरेन्द्र नाथ अवस्थी ने प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के लिए यह सीट सहर्ष छोड़ दी और उन्हें अपनी इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया। सन 2001 में उपचुनाव हुआ और उसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक विजय हासिल की।

इससे पूर्व यहां के मतदाता कांग्रेस के सुरेंद्र नाथ अवस्थी और भाजपा के सुंदरलाल दीक्षित को एक-एक बार के लिए चुनते रहते थे। यहां रोचक यही रहा कि एक बार सुंदरलाल दीक्षित तो दूसरी बार सुरेंद्र नाथ अवस्थी को विजय मिलती थी। दोनों नेता हमेशा इसी गलत फहमी में रहे कि उन्होंने दूसरे को हराया है। जबकि यहां की जनता ने कभी भी किसी प्रत्याशी को लगातार दोबारा सीट से अपना प्रतिनिधि नहीं चुना था।

यह मिथक उस समय टूटा जब 2001 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह जीते। पुनः 2002 के चुनाव में फिर उन्हें विजय मिली। इसके बाद लगातार दो बार अरविन्द कुमार गोप को सन 2003 व 2007 के चुनाव में उन्हें सफलता मिली। परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गयी और 2012 के चुनाव में अरविन्द कुमार सिंह गोप को यह क्षेत्र छोड़ना पड़ा।

इस बार भारतीय जनता पार्टी ने दिनेश रावत को अपना प्रत्याशी बनाया। समाजवादी पार्टी ने राममगन रावत को मैदान में उतारा है। बहुजन समाज पार्टी ने श्रीचंद रावत को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया। कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार निर्मला चौधरी को मैदान में उतारा है।

एक नजर पूर्व के चुनाव परिणामों पर

2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बैजनाथ रावत विजयी हुए थे। 2012 के चुनाव में सपा के राम मगन रावत बसपा के उम्मीदवार राम नारायन को हराकर विजयी हुए थे। जबकि भाजपा प्रत्याशी 40861 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे। 2007 के चुनाव में अरविन्द कुमार सिंह गोप ने भाजपा प्रत्याशी सुंदरलाल दीक्षित को हराकर विजय पाई थी। 2002 के चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने सपा के अरविन्द कुमार सिंह गोप को हराकर विजय पाई थी। अरविन्द कुमार सिंह गोप को उन्होंने 25636 वोटों से पराजित किया था। इससे पूर्व कांग्रेस के तत्कालीन विधायक सुरेंद्र नाथ अवस्थी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के लिए सहर्ष यह सीट छोड़ दी।

सन 2001 में उपचुनाव हुए जिसमें मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने ऐतिहासिक विजय पाई। 1996 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र नाथ अवस्थी ने विजय पताका फहराई। 1993 में भाजपा के सुन्दर लाल दीक्षित सपा के राम स्वरूप सिंह को हराकर चुनाव जीते। 1991 में कांग्रेस के सुरेंद्र नाथ अवस्थी विजयी रहे जबकि भाजपा के सुन्दरलाल दीक्षित दूसरे नंबर पर रहे। यह वह समय था जब पूरे देश में राम लहर चल रही थी। 1989 में भाजपा के सुन्दर लाल दीक्षित ने कांग्रेस के सुरेंद्र नाथ अवस्थी को हराकर विजय पाई। 1985 में कांग्रेस के सुरेंद्र नाथ अवस्थी विजयी रहे।

1980 में कांग्रेस के श्याम लाल बाजपेई ने इस क्षेत्र में विजय पताका फहराया। 1977 में निर्दलीय सुंदरलाल दीक्षित जनता पार्टी के जंग बहादुर को हराकर जीते। 1974 में भारत क्रान्ति दल के प्रत्याशी जंग बहादुर ने कांग्रेस की हामिदा हबीबुल्लाह को 3308 मतों से पराजित कर विजय पाई। इससे पूर्व 1969 में कांग्रेस प्रत्याशी हामिदा हबीबुल्लाह विजयी रहीं। 1967 के चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के जंग बहादुर ने कांग्रेस प्रत्याशी हामिदा हबीबुल्लाह को हराकर विजय पताका फहराई। 1962 में निर्दलीय राम किशोर ने सोशलिस्ट पार्टी के जंग बहादुर को चुनाव में हराकर विजय पाई।

सन 1957 में निर्दलीय बजरंग बिहारी लाल ने निर्दलीय जंग बहादुर को हराकर विजय पताका फहराई। 1951 में कांग्रेस प्रत्याशी घनश्याम दास कांग्रेस प्रत्याशी उमाशंकर मिश्रा को 66 मतों से पीछे छोड़कर विजय पाई। इस चुनाव में खास बात यह रही कि दोनों प्रत्याशी कांग्रेस के रहे। उस समय यह सीट नवाबगंज दक्षिण रामसनेहीघाट व हैदरगढ़ के नाम से थी।

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