गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) हिंदू धर्म का एक प्रमुख और बेहद लोकप्रिय त्योहार है। यह 10 दिनों तक चलने वाला उत्सव है जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। देशभर में, खासकर महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में, इसे बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति अपने घर में स्थापित करते हैं, उनकी पूजा करते हैं और फिर 10वें दिन ‘गणेश विसर्जन’ करते हैं। इस पर्व को मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और धार्मिक मान्यताएं हैं। इनमें से सबसे प्रचलित और महत्वपूर्ण कथा भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी है।
भगवान गणेश के जन्म की कहानी
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवी पार्वती को स्नान करना था और उन्हें किसी को द्वारपाल के रूप में नियुक्त करना था ताकि कोई अंदर न आ सके। उन्होंने अपनी योग शक्ति से एक बालक का निर्माण किया और उसे जीवन प्रदान किया। यह बालक कोई और नहीं, बल्कि स्वयं गणेश थे। देवी पार्वती ने उस बालक को आदेश दिया कि जब तक वह स्नान कर रही हैं, तब तक किसी को भी अंदर आने की अनुमति न दी जाए। बालक गणेश अपनी माता के आदेश का पालन करते हुए द्वार पर पहरा दे रहे थे। उसी समय भगवान शिव वहां आए और अंदर जाने का प्रयास करने लगे। गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका। भगवान शिव को यह देखकर क्रोध आ गया कि एक बालक उन्हें रोक रहा है। जब गणेश ने शिव को अपनी माता के आदेश के बारे में बताया, तो भी शिव ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का अपमान समझा।
बातचीत और विवाद बढ़ने पर, भगवान शिव ने गुस्से में आकर अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब देवी पार्वती को यह बात पता चली, तो वह बहुत दुखी हुईं और उन्होंने ब्रह्मांड को नष्ट करने की धमकी दी। चारों ओर हाहाकार मच गया। देवताओं और ऋषियों ने देवी पार्वती को शांत करने का प्रयास किया। तब भगवान शिव ने अपने गणों से कहा कि वे उत्तर दिशा की ओर जाएं और जो भी पहला प्राणी मिले, उसका सिर लेकर आएं। गणों को एक हाथी मिला, जिसका सिर वे ले आए। भगवान शिव ने उस हाथी के सिर को गणेश के धड़ से जोड़ दिया और उन्हें नया जीवन प्रदान किया। शिव ने उन्हें यह आशीर्वाद दिया कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले उनकी पूजा की जाएगी। इसी घटना के उपलक्ष्य में, हर साल गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व (Ganesh Chaturthi Significance)
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) सिर्फ भगवान गणेश के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह कई और महत्वपूर्ण बातों का प्रतीक भी है। भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से ज्ञान, समृद्धि और सफलता मिलती है। उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘बाधाओं को दूर करने वाले’ इसलिए, किसी भी नए काम की शुरुआत से पहले उनकी पूजा की जाती है ताकि सभी बाधाएं दूर हो सकें।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्योहार लोगों को एक साथ लाता है। लोग मिलकर पंडाल सजाते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। यह सामुदायिक भावना को मजबूत करता है। इस तरह, गणेश चतुर्थी सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक ऐसा पर्व है जो आस्था, ज्ञान और सामाजिक एकता का संदेश देता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करके आगे बढ़ा जा सकता है।