Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

छठ पूजा में महिलाएं क्यों लगाती हैं नाक से मांग तक नारंगी सिंदूर

Swachh Ghat Competition

Swachh Ghat Competition

छठ पूजा (Chhath Puja) का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. 4 दिन तक चलने वाले इस त्योहार में महिलाएं अपनी संतान और सुहाग की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. यह त्योहार मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है. इस व्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है और इसका समापन सूर्य को अर्घ्य देने और पारण के बाद होता है. इस दिन पूजा में नाक तक सिंदूर लगाने का विधान है. आइए जानते हैं कि छठ पूजा में सिंदूर का क्या महत्व है.

छठ (Chhath Puja) में क्यों लगाया जाता है नाक तक सिंदूर

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, सिंदूर सुहाग की निशानी होती है. छठ के दिन महिलाएं नाक तक सिंदूर पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि यह सिंदूर जितना लंबा होगा, उतनी ही पति की लंबी उम्र होगी. मान्‍यता है कि लंबा सिंदूर पति के लिए शुभ होता है. लंबा सिंदूर परिवार में सुख संपन्‍नता का प्रतीक माना जाता है. इस दिन लंबा सिंदूर लगाने से घर परिवार में खुशहाली आती है. इस दिन सूर्यदेव की पूजा के साथ महिलाएं अपने पति और संतान के सुख, शांति और लंबी आयु की कामना करते हुए अर्घ्‍य देकर अपने व्रत को पूर्ण करती हैं.

नारंगी रंग का सिंदूर ही क्यों लगाया जाता है

ऐसा कहा जाता है कि नारंगी रंग का सिंदूर पति की लंबी आयु के साथ उनके व्यापार में भी बरकत लाता है. उनको हर राह में सफलता मिलती है. वैवाहिक जीवन भी अच्छा रहता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार नारंगी रंग हनुमान जी का भी शुभ रंग है.

छठ पूजा (Chhath Puja) की कथा

महाभारत काल में पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था. द्रौपदी के व्रत से प्रसन्न होकर षष्ठी देवी ने पांडवों को उनका राजपाट वापस दिला दिया था. इसी तरह छठ का व्रत करने से लोगों के घरों में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है.

वहीं पौराणिक लोक कथा के मुताबिक, महाभारत काल में सूर्य पुत्र कर्ण ने सबसे पहले सूर्य देव की पूजा की थी. कहा जाता है कि घंटों पानी में खड़े होकर दानवीर कर्ण सूर्य को अर्घ्य देते थे. सूर्य देव की कृपा से कर्ण एक महान योद्धा बना था. आज भी छठ में अर्घ्य देने की यही पद्धति प्रचलित है.

Exit mobile version