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रावण दहन के बाद क्यों खाई जाती है जलेबी, जानिए प्रभु राम से जुड़ी इस प्रथा के बारें में

हिंदू पंचांग के अनुसार आज दशहरा या विजया दशमी का पर्व मनाया जा रहा है। आपको बता दें कि दशहरा हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। धार्मिक कथाओं के मुताबिक, इस दिन भगवान श्रीराम ने अत्याचारी रावण का वध किया था।

वहीं इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत करके बुराई पर अच्छाई के जीत का परचम लहराया था। भक्त इस दिन मां दुर्गा तथा भगवान श्री राम की पूजा-अर्चना करते हैं। माना गया है इस दिन मां दुर्गा और भगवान श्री राम की पूजा-आराधना करने से जीवन में सकारात्मकता आती है। इस दिन रावण का पुतला जलाने का विधान है। रावण दहन का ये पर्व पकवान और खुशियों के बिना पूरा नहीं हो पाता। दशहरे पर घर में पकवान तो बनते ही हैं लेकिन रावण दहन के बाद लोग चाट-पकौड़ी और जलेबी खाना पसंद करते हैं। आपको बता दें कि उत्तर और मध्य भारत में दशहरे के दिन जलेबी जरूर खाई जाती है। आप चाहें बाजार से मंगवाएं या घर पर बनाएं लेकिन जलेबी से मुंह मीठा किए बिना रावण दहन को अधूरा माना जाता है।

दशहरा और जलेबी का कनेक्शन प्रभु श्रीराम से जुड़ा है। रावण दहन के बाद जलेबी खाने की परंपरा बहुत ही पुरानी है और श्रीराम के भक्त इसे पूरी चाहत के साथ पूरा करते हैं। पुराणों की मानें तो कई जगहों पर कहा गया है कि जलेबी श्रीराम की पसंदीदा मिठाई में से एक थी। वह जब खुश होते थे तो जलेबी जरूर खाते थे। उस युग में जलेबी को ‘शश्कुली’ कहा जाता था। इसलिए जब श्रीराम ने रावण का वध किया तो लोगों ने श्रीराम को उनकी पसंदीदा मिठाई से मुंह मीठा कराया था और जयकार लगाया था। तब से दशहरे पर जलेबी खाने का चलन बन गया है।

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पुराने जमाने में जलेबी को ‘कर्णशष्कुलिका’ कहा जाता था। कहा जाता है कि श्रीराम के जन्म के समय महल में बनी कर्णशष्कुलिका पूरे राज्य में बंटवाई गई थी। राम जन्म के समय पूरी अयोध्या ने जलेबियों का स्वाद लिया था और श्रीराम भी जलेबी खाना बहुत पसंद करते थे। आपको बता दें कि 17वीं सदी की ऐतिहासिक दस्तावेज में एक मराठा ब्राह्मण रघुनाथ ने जलेबी बनाने की विधि का उल्लेख कुण्डलिनि नाम से किया है। वहीं भोजनकुतूहल नामक किताब में भी अयोध्या रामजन्म के समय प्रजा में जलेबियां बांटने का जिक्र किया गया है। कई जगह इसे शश्कुली के नाम से भी उल्लेखित किया गया है।

जलेबी की बात करते ही मुंह में पानी आ जाना सामान्य है। रसभरी घुमावदार गलियों की तरह जलेबी गरमागरम खाई जाए तो तन-मन खुश हो जाता है। जीभ का स्वाद ही बदल जाता है। देश में यूं तो कई तरह की जलेबियां बनाई जाती हैं लेकिन रसभरी, पनीर जलेबी, गन्ने के रस की जलेबी और खोए की जलेबी के अपने ही जलवे हैं।

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आइए आपको बताते हैं घर पर कैसे बनाएं जलेबी

जलेबी बनाने के लिए सामग्री

1 बाउल मैदा

2 चम्मच कस्टर्ड पाउडर

1/4 चम्मच बेकिंग पाउडर

2 चम्मच दही

1/2 चम्मच विनेगर

1/4 चम्मच जलेबी का कलर

1 बाउल चाश्‍नी

1 चम्मच पिस्ता बारीक कटा हुआ

फूड कलर 2 बूंद

चीनी 3 कप

केसर चुटकी भर

घी 3 चम्मच

जलेबी बनाने की विधि

-एक बाउल में मैदा डालें।

-इसमें कस्टर्ड पाउडर, बेकिंग पाउडर, दही, विनेगर, जलेबी का कलर और पानी डालकर गाढ़ा घोल तैयार कर लें।

-इस घोल को पाइपिंग बैग में डालकर तेल में जलेबी छान लें।

-चाश्‍नी बनाने के लिए एक पैन में पानी गर्म करें और इसमें चीनी डालें।

-चाश्‍नी गाढ़ी होने तक इसे उबालें।

-फिर चाश्‍नी को गैस से उतारकर इसमें केसर मिला लें।

-इसके बाद जलेबियों को चाशनी में डालकर 2 से 3 मिनट तक डुबाए रखें।

-इसे गर्मागरम सर्व करते समय पिस्ता से गार्निश जरूर करें।

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