नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने झारखंड सरकार से पूछा कि जब पूरा देश खुल रहा है तो केवल मंदिर, मस्जिद, चर्च और दूसरे धार्मिक स्थल क्यों बंद हैं? महत्वपूर्ण दिनों में क्यों नहीं खुलना चाहिए?
न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे की याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
न्यायालय ने झारखंड के देवघर स्थित ऐतिहासिक वैद्यनाथ धाम मंदिर में सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को जाने देने की सलाह दी। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे सीमित संख्या में श्रद्धालु दर्शन कर सकें, क्योंकि ई-दर्शन कोई दर्शन नहीं होता।
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न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि आने वाली पूर्णमासी और भादो महीने में नयी व्यवस्था लागू करने के प्रयास करने की सलाह दी और कहा कि श्रद्धालुओं को ई-टोकन जारी करना भी एक माध्यम हो सकता है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने झारखंड सरकार से पूछा, “पूरा देश खुल रहा है, केवल मंदिर, मस्जिद, चर्च और दूसरे धार्मिक स्थल क्यों बंद हैं? महत्वपूर्ण दिनों में उन्हें खुलना चाहिए। मंदिर में ई-दर्शन, दर्शन करना नहीं होता है।” न्यायालय ने यह टिप्पणी कोरोना संकट काल में झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में भक्तों को केवल ई-दर्शन की इजाज़त दिये जाने पर की।
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श्री दुबे ने झारखंड उच्च न्यायालय के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है, जिसमें केवल ई-दर्शन की इजाजत करने का आदेश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि कोरोना संकट काल में भीड़ न लगे, इसके लिए भक्तों को मंदिर में सीमित संख्या में दर्शन करने की व्यवस्था क्यों नहीं करते?
झारखंड सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद पेश हुए।