गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किला पर हुए उपद्रव के बाद टीकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में सुरक्षा का जैसा इंतजाम किया गया है, वैसा तो अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर भी देखने को नहीं मिलता।
एक फरवरी को बजट पेश होगा, उस दौरान किसान दिल्ली में न घुस जाएं, इसके मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने टीकरी बॉर्डर पर आठ लेयर की सुरक्षा दीवार बना दी है। अब इसमें ट्रैक्टर कितनी ही बार टक्कर मारें, उसका कोई असर नहीं होगा। आठ लेयर सुरक्षा में लोहे के बैरिकेड, सीमेंट और आयरन के ब्लॉक, दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवान शामिल हैं।
किसान आंदोलन में सुरक्षा की ड्यूटी संभाले परमजीत सिंह बताते हैं, दिल्ली पुलिस ने हमारे धरना स्थल से करीब 15 मीटर दूरी पर 29 जनवरी को ये आठ लेयर वाली सुरक्षा दीवार बनाई है। यहां जेसीबी से रोड को खोदा गया। उसके बाद पानी भरा गया। सीमेंट के खाली ब्लॉक लाए गए। उनमें सीमेंट, कंक्रीट और सरिया डाला गया। अब हालत ऐसी हो गई है कि किसी किसान या स्थानीय नागरिक को आपात चिकित्सा की जरुरत पड़ जाए तो एंबुलेंस कहां से आएगी। पुलिस कहती है कि गलियों में लंबा चक्कर लगाकर एंबुलेंस पहुंच जाएगी। बहादुरगढ़ से किसी को मरीज को पीरागढ़ी, नांगलोई या एम्स जाना हो, तो गलियों में से रास्ता तलाशने में एंबुलेंस को दो घंटे लग जाएंगे। तब तक मरीज का क्या होगा, पता नहीं।
जानिए आठ लेयर सुरक्षा दीवार की खासियत
पहले नंबर पर लोहे के बैरिकेड लगाए हैं। टीकरी बॉर्डर पर ये बैरिकेड दोनों कैरिज-वे को कवर करते हैं। यहां से कोई छोटा बच्चा भी बैरिकेड के पार नहीं जा सकता। इस पर कंटीली तार भी लगी है। इसके बाद दूसरे नंबर की बैरिकेड दीवार का नंबर आता है। ये भी लोहे के बैरिकेड हैं। इन्हें आपस में जोड़ दिया गया है। अगर कोई एक बैरिकेड को हटाने का प्रयास करेगा, तो उसे मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। वजह, दोनों बैरिकेड जुड़े होने के कारण जब पहले को खीचेंगे तो दूसरा भी साथ ही उठाना पड़ेगा।
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तीसरा बैरिकेड ऐसा है कि उसे ट्रैक्टर भी नहीं हटा सकते। अगर इसे ट्रैक्टर से हटाने या तोड़ने का प्रयास किया जाता है तो नुकसान ट्रैक्टर का ही होगा। वर्गाकार बैरिकेड करीब चार फुट चौड़ा और साढ़े पांच फुट ऊंचा है। इस ब्लॉक की खाली जगह में लोहे के सरिए डाले गए हैं। उसके बाद सीमेंट और रोड़ी का मिक्सर भर दिया गया। अब यह बिल्कुल पत्थर हो गया है। खास बात ये है कि अगर इसे कोई क्रेन की मदद से भी हटाना चाहे तो वह संभव नहीं होगा, क्योंकि इन ब्लॉक को भी आपस में जोड़ दिया गया है। करीब 30 मीटर लंबी ब्लॉक की चेन को एक साथ उठाना भी संभव नहीं है।
चौथा बैरिकेड केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की मानवीय दीवार है। यहां पर सीआरपीएफ और बीएसएफ के जवान तैनात हैं। हर दो फुट पर एक जवान खड़ा है। ये सब अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं। इनमें आरएएफ, जो उपद्रवियों से निपटने के लिए एक्सपर्ट फोर्स मानी जाती है, उसके जवान भी यहां बुलाए गए हैं।
पांचवें नंबर के बैरिकेड पर दिल्ली पुलिस तैनात है। इनके पास आंसू गैस के गोले, वाटर कैनन और डंडे हैं। ये भी उतनी ही दूरी पर तैनात हैं, जितने अंतराल पर केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवान खड़े रहते हैं।
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छठे नंबर पर दोबारा से सीमेंट के ब्लॉक लगाए गए हैं। ये वर्गाकार ब्लॉक खाली नहीं हैं। सीमेंट और कंक्रीट से इन्हें भरा गया है। इन्हें हटाना बहुत मुश्किल है। कुछ ब्लॉक ऐसे हैं, जिनमें सरिया बाहर निकला हुआ है। यह इसलिए किया गया है कि कोई वाहन इन्हें टक्कर मारता है तो नुकसान उसी का होगा।
सातवें नंबर पर आयरन बैरिकेड लगाए गए हैं। इनके साथ साथ कांटेदार फेंसिंग भी लगी है। अगर कोई व्यक्ति इन्हें लांघने का प्रयास करता है तो वह घायल हो सकता है।
आठवें नंबर पर भी आयरन बैरिकेड की दीवार बनाई गई है। पहले वाले बैरिकेड की तरह इन्हें भी आपस में लिंक किया गया है। यानी सातवें नंबर का बैरिकेड आठवें बैरिकेड के साथ जुड़ा हुआ है।