वराह जयंती (Varaha Jayanti ) का त्योहार भगवान विष्णु के तीसरे अवतार का जन्म उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को वराह जयंती का पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया था और राक्षस हिरण्याक्ष का वध कर पृथ्वी की रक्षा की थी। इस साल वराह जयंती (Varaha Jayanti ) 17 सितंबर 2023 को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान वराह की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। साथ ही भगवान को खुश करने के लिए भक्त, भजन का जप करते हैं और श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ करते हैं।
वराह जयंती (Varaha Jayanti ) : महत्व
वराह जयंती (Varaha Jayanti ) का त्यौहार मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में मनाया जाता है। माना जाता है कि भगवान वराह की पूजा करने से जातक को धन, स्वास्थ्य और सुख-संपदा मिलती है। भगवान विष्णु के अवतार ने आधे मानव और आधे सूअर के रूप में सभी बुराइयों पर विजय प्राप्त की थी और हिरण्यक्ष को हराया था। इसलिए, इस दिन भक्त भगवान वराह की पूजा करते हैं और अपने जीवन से सभी बुराइयों से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। भगवान वराह की पूजा करने से व्यक्ति को हर तरह की बुराईयों से छुटकारा मिलता है, मन के विकार दूर होते हैं और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
कैसे करें पूजन?
इस दिन भक्त सुबह उठते हैं और पवित्र नदियों में स्नान कर मंदिर या पूजा घर में अनुष्ठान शुरू करते हैं। भगवान विष्णु या भगवान वराह की मूर्ति के समक्ष एक पवित्र धातु के बर्तन (कलश) में रखा जाता है, जिसमें पानी भरने के बाद आम की पत्तियों से ढंका जाता है। इसके ऊपर नारियल रखा जाता है।
इसके बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। भगवान पर जल, फूल, माला, पीला चंदन, मिठाई, तुलसी दल आदि चढ़ाएं। इस अवधि में घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती करें। बाद में इन सभी चीजों को ब्राह्मणों को दान कर दें।