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तो यूपी फिर होगा लॉकडाउन? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना पर सरकार से मांगा एक्शन प्लान

प्रयागराज। यूपी में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण तो तेजी से बढ़ ही रहा है। साथ प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है। इसको संज्ञान में लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप और मौतों पर अपनी सख्त नाराजगी जाहिर की है।

हाई कोर्ट : छात्रों से न्यूनतम 70 फीसदी उपस्थिति की उम्मीद करना होगा अनुचित

कोर्ट ने कहा कि प्रदेश सरकार ने रोडमैप पेश कर संक्रमण फैलाव रोकने के कदम उठाने का आश्वासन तो दिया, लेकिन जिला प्रशासन बिना जरूरी काम के घूमने वालों, चाय-पान की दुकान पर भीड़ लगाने वालों पर नियंत्रण करने में नाकाम रहा है। पुलिस ने बिना मास्क लगाए निकलने और सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन न करने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया, चालान काटा, फिर भी लोग जीवन की परवाह नहीं कर रहे हैं।

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी-ब्रेड, बटर और जीवन में चुनना हो तो जीवन ज्यादा जरूरी

हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ब्रेड बटर और जीवन में चुनना हो तो जीवन ज्यादा जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि अगर एक पखवाड़ा लॉकडाउन किया जाता है तो लोग भूख से नहीं मरेंगे। कोर्ट ने कहा कि सरकार को संक्रमण फैलाव रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने क्वारेंटाइन सेंटरों की बदहाली और कोविड अस्पतालों की हालत सुधारने को लेकर कायम जनहित याचिका पर दिया है।

मुख्य सचिव 28 अगस्त तक रोडमैप पेश करें

कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा बल की कमी के कारण हर गली में पुलिस पेट्रोलिंग नहीं की जा सकती है। बेहतर हो कि लोग स्वयं ही घरों में रहें। जरूरी काम होने पर ही बाहर निकलें। कोर्ट ने मुख्य सचिव को रोड मैप व कार्रवाई रिपोर्ट के साथ 28 अगस्त को हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा है कि लॉक डाउन के बाद अनलाक कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोरोना संक्रमण रोकने का कोई ऐक्शन प्लान तैयार किया गया था। यदि प्लान था तो उसे ठीक से लागू क्यों नही किया गया?

मुख्य सचिव बताएं कि एक्शन प्लान लागू करने में नाकाम अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की?

कोर्ट ने कहा कि सरकार के समय-समय पर जारी आदेशों से साफ है कि कोई केन्द्रीय प्लानिंग नहीं थी। मुख्य सचिव बताएं कि एक्शन प्लान लागू करने में नाकाम अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? कोर्ट ने मुख्य सचिव से मांगी गई पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।

प्रयागराज शहर को लेकर भी हाईकोर्ट ने की सुनवाई

इस दौरान हाईकोर्ट ने प्रयागराज शहर से नगर निगम की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का निरीक्षण कर, रिपोर्ट पेश करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर चंदन शर्मा को 10 दिन का और समय दिया है। उनके सहयोग के लिए शुभम द्विवेदी को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया है। इससे पहले नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर राम कौशिक ने स्वयं को अलग कर लिया है।

हाई कोर्ट : छात्रों से न्यूनतम 70 फीसदी उपस्थिति की उम्मीद करना होगा अनुचित

नगर निगम के अधिवक्ता एसडी कौटिल्य ने कोर्ट को बताया कि डॉ. विमल कान्त को नगर स्वास्थ्य अधिकारी नियुक्त किया गया है। कोर्ट ने उन्हें सफाई, सेनेटाइजेशन व फागिंग व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह व सीएमओ ने भी रिपोर्ट पेश की है। एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह ने कोरोना वार्ड आईसीयू में डाक्टर स्टाफ की तैनाती की गाइडलाइन पेश की।

अपर महाधिवक्ता से खराब क्वालिटी के मास्क की मांगी जानकारी

कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल को खराब क्वालिटी के मास्क की बिक्री पर जानकारी मांगी है। कोर्ट ने प्रदेश के 7 जिलों लखनऊ, कानपुर नगर, प्रयागराज, वाराणसी, बरेली, गोरखपुर व झांसी की स्थिति का जायजा लिया।

शौचालय में महिला मरीज की मौत की जांच रिपोर्ट पेश

इसके साथ ही स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल के कोरोना वार्ड के आईसीयू में भर्ती महिला चुप्पी देवी को शौचालय जाते समय रास्ते में मौत मामले की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की गई। कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता को प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।

 

 

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