नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र न बुलाने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि केंद्र ने शीतकालीन सत्र रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। रूस और भारत केवल दो देश हैं जिन्होंने संसदीय सत्र को रद्द कर दिया है। यह डेमोक्रेसी के लिए अच्छा संकेत नहीं है। अगर विधानसभा चुनाव हो सकते हैं, अगर पॉलिटिकल रैलियां हो सकती हैं। तो विंटर सेशन भी बुलाना चाहिए था। यह तानाशाही है और कुछ नहीं।
पृथ्वीराज चव्हाण ने किसान आंदोलन के मसले पर केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि केंद्र ने इन कृषि कानूनों को इतनी जल्दीबाजी से क्यों पारित किया है? उन्हें इसे पारित करने के लिए समय निकालना चाहिए था। पंजाब और हरियाणा को इस हड़ताल के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है, लेकिन इस विरोध के लिए कौन जिम्मेदार है? किसान ऐसा क्यों कर रहे हैं? हड़ताल से अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।
बहरहाल, कोरोना संकट का हवाला देते हुए इस बार संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं किया जा रहा है। यह काफी लंबे समय बाद हो रहा है जब संसद का कोई सत्र नहीं हो रहा है। इसी मसले पर बीते दिनों लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसदीय मंत्री को पत्र लिखा था।
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संसदीय मंत्री ने जवाब में अधीर रंजन को लिखा कि कोरोना संकट के कारण इस बार मॉनसून सत्र भी सितंबर में हो पाया था, जिसमें काफी सावधानी बरती गई थी। लेकिन इस बार सर्दी का मौसम कोरोना संकट के कारण काफी अहम है और दिल्ली में भी मामले बढ़े हैं। अभी दिसंबर आधा बीत गया है और हमें जल्द ही कोरोना वैक्सीन मिलने की उम्मीद है। ऐसे में मैंने कई फ्लोर लीडर्स से संपर्क किया है और शीतकालीन सत्र पर बात की है।