चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) जारी हैं और आज अष्टमी तिथि के दिन मां दुर्गा की पूजा की जाती हैं। मां दुर्गा को समर्पित यह दिन महाष्टमी या दुर्गाष्टमी (Durgashtami ) के रूप में जाना जाता हैं। आज के दिन की गई मातारानी की सेवा और पूजा आपको मातारानी का आशीर्वाद दिलाती हैं। यह दिन दांपत्य जीवन जीने वालों के लिए भी विशेष माना जाता हैं जिसमें कुछ उपायों को कर अपने दांपत्य जीवन में खुशियों का आगमन किया जा सकता हैं। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर विवाहित स्त्रियों द्वारा महागौरी की पूजा करने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तो आइये जानते हैं उन उपायों के बारे में जो आपके वैवाहिक जीवन में खुशियां लेकर आएंगे।
लाल वस्त्र धारण करके करें देवी मां का पूजन
अष्टमी (Durgashtami ) के दिन सुबह जल्दी नहाकर कर लाल रंग के कपड़े पहनें। माथे पर लाल रंग का तिलक लगाकर तांबे के लोटे में जल लेकर सूर्य देवता को अर्पित करें। फिर देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर व पहले से स्थापित कलश पर सिंदूर से तिलक लगाएं। लाल रंग के फूल, दीप, धूप आदि चढ़ाकर पूजा करें।
मां गौरी को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं
मां गौरी यानी यानी माता पार्वती सुहाग की देवी है। अष्टमी के दिन गौरी माता को सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, मेंहदी, चुनरी आदि श्रृंगार का सामान अर्पित करें। अगर संभव हो पाएं तो इसे देवी मां के मंदिर जाकर खुद अपने हाथों से उनका श्रृंगार करें। सच्चे मन से उनकी पूजा करें। साथ ही प्रसाद के तौर पर मिले सामान को यूज करें। इससे पति-पत्नी में चल रहा तनाव दूर होने में मदद मिलेगी। ऐसे में मैरिड लाइफ खुशनुमा बीतेगी।
महिलाएं इस दिन जरूर करें सोलह श्रृंगार
सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके ही देवी मां की पूजा करें। इससे गौरी माता की आप पर विशेष कृपा होगी। साथ ही दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहेगी। पौराणिक व धार्मिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में माता सीता भी श्रीराम को पति के रुप में पाने के लिए गौरी माता की पूजा करती थी। ऐसे में कुंवारी कन्याओं को भी मनचाहा साथी पाने के लिए मां गौरी की पूजा करनी चाहिए।
पति -पत्नी एक साथ करें माता रानी की पूजा
अष्टमी (Durgashtami) के पावन दिन पर पति- पत्नी एक साथ माता रानी की पूजा करें। इससे रिश्तों में चल रही खटास दूर होकर मजबूती आएगी।
अर्द्धनारीश्वर स्वरुप का करें पूजन
इस शुभ दिन पर दुर्गा सप्तशती के नवम अध्याय का जरूर पाठ करें। इस अध्याय में भगवान शिव और माता पार्वती के अर्द्धनारीश्वर रूप का वर्णन किया गया है। ऐसे में दोनों की एक रूप में पूजा करने से दांपत्य जीवन में मिठास आएगी।