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वृद्धाश्रम में महिला की मौत, अंतिम यात्रा में भी नहीं मिला अपनों का साथ 

dead body

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विंध्याचल स्थित वृद्धाश्रम में महीनों से बीमार चल रही एक वृद्ध महिला राजरानी (92) की शुक्रवार को मौत हो गई। सरकारी अस्पताल में सुविधा न मिलने पर प्राइवेट चिकित्सालय पर उसका इलाज चल रहा था।
जिला प्रोबेशन अधिकारी सोनभद्र डॉ. अमरेंद्र कुमार पौत्स्यायन ने तीन वर्ष पूर्व वृद्धाश्रम में उसका दाखिला कराया था। वह सोनभद्र की निवासी थी। उसकी मौत होने पर आश्रम प्रबंधक शकल नारायण मौर्या, अधीक्षिका रुपा, काउंसलर श्याम सुंदर, शांति, सतनी, रविंद्र, दशरथ, उर्मिला, पूजा समेत सभी वृद्ध माताओं ने उसे अंतिम विदाई दी। शिवपुर में उसका अंतिम संस्कार किया गया।
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उल्लेखनीय है कि विंध्याचल स्थित वृद्धाश्रम में करीब 31 बुजुर्ग जीवन-यापन कर रहे हैं। वृद्धाश्रम में शायद ही ऐसा कोई दिन खाली जाता हो, जिस दिन कोई खास आयोजन न हो। इन बुजुर्गों को खुशियां और प्यार बांटने के लिए अनजान व गैर लोग वृद्धाश्रम पहुंचते हैं। समाजसेवी व अधिकारी भी किसी न किसी उपलक्ष्य में वृद्धाश्रम पहुंचकर वृद्धों के बीच आयोजन करते हैं। वृद्धाश्रम में भी रह रहे वृद्धों को भी अपने परिवार का साथ मिलता है।
लेकिन इस कारोना काल के दौर में वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों को अपनों का साथ नहीं मिला। एक ओर जहां संक्रमण से सुरक्षा के लिए जारी लॉकडाउन में लोगों को परिवार के सदस्यों के बीच लंबा समय व्यतीत करने का मौका मिला, वहीं जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके इन वृद्धों को परिवार के सदस्यों के बिना ही वृद्धाश्रम में रहना पड़ा। स्वजनों ने तो इन्हें भुला दिया, लेकिन ये स्वजनों की चिंता में बराबर घुलते रहते हैं। इतना कुछ होने के बाद भी वे अपने परिवार के सदस्यों के सुरक्षित रहने की कामना करते रहते हैं।
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प्रबंधक वृद्धाश्रम शकल नारायण मौर्य ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौर में भी वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। संक्रमण काल में भी किसी के स्वजन इन्हें ले जाने या इनसे मिलने नहीं पहुंचे। यहां संक्रमण से सुरक्षा का ख्याल रखकर वृद्धों की सेवा की जा रही है।
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