दिल्ली : कृषि आंदोलन में पंजाब और हरियाणा के पुरुष किसानों के साथ ही महिला किसान भी प्रदर्शन कर रही हैं। पंजाब से दिल्ली जाने के लिए महिला किसान भी पीछे नहीं हैं और उनका जत्था भी आया हु्आ है। जो किसानों संग कुंडली बॉर्डर पर डटा हुआ है। महिलाएं सभी आंदोलनकारियों के लिए खाने का प्रबंध करती हैं, साथ ही आंदोलन में भी भाग लेती हैं। उनका कहना है कि वे सरकार से अपना हक लेने आई हैं और अब वापसी तो हक मिलने पर ही होगी। महिलाओं ने कहा कि अगर आंदोलन में उनकी जान चली गई तो उनकी बहुएं-बेटियां आकर किसानों की मदद करेंगी।
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कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे महिलाओं के जत्थे ने कहा कि उनके साथ बुजुर्ग, युवा और महिलाएं आई हुई हैं। वे किसानों के लिए खाने का प्रबंध करने के साथ ही अपने हक की लड़ाई में भी पूरा योगदान दे रही हैं। महिलाओं का कहना था कि वे कपड़े व बिस्तर बांधकर लाए हैं। सरकार ने किसानों को बर्बाद करने के लिए जो तीन कानून बनाएं हैं, वे उसे वापस लेने के बाद ही लौटेंगे।
उनका कहना था कि उनके पास छह माह से अधिक का राशन है। सरकार उन्हें दिल्ली जाने से जहां रोकेगी, अब वह वहीं रुककर धरना प्रदर्शन शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि जब उन्हें रास्ता खुला मिलेगा, तो वे दिल्ली की तरफ कूच शुरू कर देंगी। वे किसान परिवार से हैं और किसान ने कभी हार नहीं मानी। वह देश के लिए निवाले का इंतजाम करता है। ऐसे में उसे ही सरकार दबाने में लगी है, जिसे अब सहन नहीं किया जा सकता। किसान हिंसा नहीं करेंगे। सरकार जहां कहेगी, वहीं रुककर अपना आंदोलन आगे बढ़ाएंगे। यह बोलीं महिला किसान
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किसान अपना हक लेने आया है। सरकार को उसका हक तुरंत देना चाहिए। किसान अपनी मांग पूरी कराने के लिए हर कुर्बानी दे सकता है। छोटे बच्चों को साथ लेकर महिलाएं भी इस आंदोलन में कूद गई हैं। अब मांग पूरी होने के बाद ही उनके कदम वापस मुडेंगे। नहीं तो वे आरपार की लड़ाई लड़ने को भी तैयार हैं।
– गुरदीप कौर, पंजाब