‘होम मेकर’ से ‘किंग मेकर’ बनी बिहार की महिलाओं ने 243 में से 166 विधान सभा क्षेत्र में पुरुषों से अधिक मतदान कर करीब 60 प्रतिशत सीट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की झोली में डाल उसकी सरकार तो बना ही दी, साथ ही सभी राजनीतिक दलों को अपनी अहमियत भी समझा दी कि उन्हें अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार ‘सत्ता की चाभी’ महिलाओं और युवाओं के हाथ में थी । इसे भांपते हुए सत्ता के दोनों दावेदारों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और महागठबंधन ने इस सियासी महासंग्राम में उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। नतीजा यह हुआ कि इस बार बड़ी संख्या में युवाओं के महागठबंधन के पक्ष में झुकाव से कांटे का मुकाबला देखने को मिला लेकिन अंततः होम मेकर ही किंगमेकर बनकर उभरी।
इस बार के विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने वैश्विक महामारी कोविड-19 और अन्य दुश्वारियों को पीछे छोड़कर पुरुषों के 54.68 प्रतिशत के मुकाबले 5.1 प्रतिशत अधिक 59.69 प्रतिशत मतदान कर सरकार चुनने में मुख्य भूमिका निभाई है। राज्य के 243 में से 166 विधानसभा क्षेत्र में महिलाएं वोट के मामले में पुरुष से आगे रहीं ।
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जिन 166 विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं ने मतदान में पुरुषों से ज्यादा हिस्सा लिया वहां करीब 60 प्रतिशत सीट श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राजग की झोली में गई, वहीं श्री तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन को मात्र 36 प्रतिशत सीटें ही मिली। राजग के खाते में गई ऐसी 99 सीट में से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सर्वाधिक 55, उसकी सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को 37, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को तीन सीटें मिली हैं। वहीं, महागठबंधन को गई ऐसी 60 सीट में से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को 44, कांग्रेस को आठ, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) को चार, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को दो-दो सीटों पर जीत मिली है । शेष सात सीट अन्य के खाते में गई।
संदेश सीट से नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में फरार पूर्व विधायक अरुण यादव की जगह इस बार उनकी पत्नी और सत्ता के समर में पहली बार उतरी राजद प्रत्याशी किरण देवी ने जदयू के विजेन्द्र यादव पराजित कर जीत का सेहरा अपने नाम कर लिया। दिलचस्प है कि श्री विजेंद्र यादव राजद विधायक अरुण यादव के बड़े भाई हैं यानी कि इस सीट पर मुकाबला घर के अंदर ही हुआ। अतरी सीट पर वर्ष 2015 में राजद के टिकट निर्वाचित हुई कुंती देवी की जगह इस बार उनके पुत्र एवं नवोदित अजय यादव को पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया। राजद के श्री यादव ने जदयू की मनोरमा देवी को चुनावी रणभूमि में शिकस्त दे दी। पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह के पुत्र सुमित सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चकाई सीट पर राजद की सावित्री देवी को पराजित कर कामयाबी का डंका बजा दिया। चकाई एकमात्र सीट है, जहां इस बार के चुनाव में किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है।
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ओबरा सीट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति सिंह के पुत्र और राजद प्रत्याशी ऋषि कुमार ने लोजपा के प्रकाश चंद्र को पराजित कर चुनावी बाजी अपने नाम कर ली। नवादा सीट से दुष्कर्म के एक मामले में सजायाफ्ता राजबल्लभ यादव की पत्नी और पहली बार चुनावी रण में हुंकार भरने उतरी राजद की विभा देवी ने जदयू प्रत्याशी कौशल यादव को परास्त कर दिया। गोविंदपुर सीट से कौशल यादव की पत्नी और जदयू प्रत्याशी पूर्णिमा यादव को भी राजद के मोहम्मद कामरान से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2015 में विधानसभा में कौशल यादव और पूर्णिमा यादव एकमात्र दंपति विधायक थे और दोनों को इस बार चुनावी रणभूमि में हार मिली। करहगर सीट से कांग्रेस ने चुनावी संग्राम में उतरे नये खिलाड़़ी पूर्व मंत्री गिरीश नारायण मिश्र के पुत्र संतोष कुमार मिश्रा को पार्टी का टिकट दिया, जिन्होंने जदयू के वशिष्ठ सिंह को पराजित कर दिया। इसी तरह कटोरिया (सु) सीट से दिग्गज नेता सोनेलाल हेमब्रम की पुत्रवधू और भाजपा प्रत्याशी निक्की हेमब्रम ने राजद प्रत्याशी स्वीटी सीमा हेम्ब्रम को चुनावी दंगल में परास्त कर दिया।
बैकुंठपुर विधानसभा सीट से (राजद) ने सत्ता के नये खिलाड़ी पूर्व विधायक स्व. देवदत्त प्रसाद के पुत्र प्रेम शंकर प्रसाद को पार्टी का उम्मीदवार बनाया। राजद के श्री प्रसाद ने भाजपा के मिथिलेश तिवारी को चुनावी संग्राम में मात दे दी। इस सीट पर जदयू से बगावत कर पूर्व मंत्री स्व. ब्रज किशोर नारायण सिंह के पुत्र पूर्व विधायक मंजीत कुमार सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपनी तकदीर आजमायी लेकिन कामयाबी उनसे कोसो दूर रही। भोरे(सु) सीट से पूर्व मंत्री चंद्रिका राम के पुत्र और पूर्व विधायक अनिल कुमार के भाई पूर्व आइपीएस अधिकारी सुनील कुमार सेवानिवृति के बाद खाकी के बाद अब खादी की शोभा बढ़ाने के लिये जदयू की टिकट पर चुनावी रण में उतरे और उन्होंने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा-माले) के जीतेन्द्र पासवान को पराजित कर अपनी सियासी पारी का शानदार आगाज किया।आरा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री सरदार हरिहर सिंह के पौत्र और भाजपा प्रत्याशी अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने भाकपा माले के कयामुद्दीन अंसारी को चुनावी दंगल में चित कर दिया।
उजियारपुर सीट से पूर्व मंत्री तुलसी दास मेहता के पुत्र पूर्व सासंद आलोक कुमार मेहता राजद की टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक शील कुमार राय को चुनावी अखाड़े में शिकस्त दे दी। गोरियाकोठी से पूर्व विधायक भूमेन्द्र नारायण सिंह के पुत्र देवेश कांत सिंह ने राजद की नयी खिलाड़ी नूतन देवी को परास्त कर इस सीट पर भाजपा का ‘कमल’ खिला दिया। राजगीर विधानसभा क्षेत्र से जदयू ने इस बार के चुनाव में हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य के पुत्र कौशल किशोर को उम्मीदवार बनाया। वहीं, वर्ष 2015 में राजगीर से जदयू के टिकट पर जीते रवि ज्योति कुमार ने जदयू का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया। जदयू के श्री किशोर ने कांग्रेस के श्री कुमार को मात दे दी। बनियापुर विधानसभा क्षेत्र में राजद के टिकट पर पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के छोटे भाई केदार नाथ सिंह ने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के वीरेंद्र कुमार ओझा को शिकस्त देकर जीत का परचम लहराया।