पितृ पक्ष (Pitru Paksha) पितरों को प्रसन्न करने, उनकी तृप्ति और पितृ दोष मुक्ति का एक अच्छा अवसर होता है। घर का पुरुष सदस्य अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, ब्राह्मण भोज आदि करता है। पितर खुश होकर आशीर्वाद देते हैं, ताकि पूरे परिवार की उन्नति हो। लेकिन किसी कारणवश आपके परिवार में कोई पुरुष नहीं है तो घर की महिलाएं अपने पितरों को खुश करने के लिए पितृ पक्ष में वस्तुओं का दान कर सकती हैं।
इस दान से आपके पितर तृप्त हो जाएंगे। पितर जब तृप्त होंगे तो वे आपके धन, संपत्ति, वंश, अच्छी सेहत आदि में बढ़ोत्तरी का आशीष देंगे। फिर आपके परिवार में किसी भी चीज की कमी नहीं होगी। पितर जब नाराज रहते हैं तो परिवार में कलह, बीमारी, धन हानि, वित्तीय संकट, संतान का अभाव होता है। ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष (Pitru Paksha) की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है। पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है।
श्राद्ध प्राचीन भारतीय संस्कृति का अंग है। श्राद्ध यानी श्रद्धा से किया गया कार्य। पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं तथा तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। तर्पण करना ही पिंडदान करना है। श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है। पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है। इसी दिन से महालय (श्राद्ध) का प्रारंभ भी माना जाता है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण वर्षभर तक प्रसन्न रहते हैं। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का पिण्ड दान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है।
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में पितरों को तृप्त करने के लिए घर की महिलाओं को वस्तुओं का दान करना चाहिए। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि वस्तुओं के दान करने से पितर खुश होते हैं और वे अपने वंश को आशीर्वाद देते हैं। जिन घरों में कोई पुरुष नहीं होता है उन घरों की महिलाओं को तो विशेषकर नीचे बताई गई वस्तुओं, जिनमें—केला, दही, सफेद मिठाई, लगा हुआ पान और दक्षिणा शामिल है—का दान देना चाहिए। आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में किन वस्तुओं का दान महिलाओं को करना चाहिए।
गाय का दान
धार्मिक दृष्टि से गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में किया गया गाय का दान हर सुख और धन-संपत्ति देने वाला माना गया है।
भूमि दान
अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो श्राद्ध पक्ष में किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति को भूमि का दान आपको संपत्ति और संतान लाभ देता है। किंतु अगर यह संभव न हो तो भूमि के स्थान पर मिट्टी के कुछ ढेले दान करने के लिए थाली में रखकर किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं।
केला
पितरों को खुश करने के लिए पितृ पक्ष में पके हुए केले का दान करना चाहिए। केला एक सदाबहार फल है और वह भगवान विष्णु को प्रिय है। विष्णु कृपा प्राप्ति के लिए केले के पौधे की पूजा भी होती है। भगवान विष्णु वैकुंठ धाम के मालिक हैं और मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। पितर केले का दान पाकर प्रसन्न हो उठते हैं और आशीर्वाद देकर अपने वंश को धन्य करते हैं।
तिल
श्राद्ध के हर कर्म में तिल का महत्व है। इसी तरह श्राद्ध में दान की दृष्टि से काले तिलों का दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है।
घी
श्राद्ध में गाय का घी एक पात्र (बर्तन) में रखकर दान करना परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है।
दही
पितरों की तृप्ति के लिए आप दही का दान जरूर करें। पितृ पक्ष में दूध से ज्यादा दही का महत्व होता है। दूध कच्चा होता है, जबकि दही पके दूध से बनाते हैं और वह जमा हुआ होता है। पितरों को दही प्रिय है। दही स्थिर और जमा होता है। पितरों को इसलिए दही दान करते हैं ताकि हमारे जीवन में स्थिरता आए।
सफेद मिठाई
पितृ पक्ष में सफेद मिठाई का दान पाकर पितर खुश हो जाते हैं। प्रेत मंजरी में लिखा है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति प्रेत भाव में होता है और वह अंधकार में रहता है। इस भाव में वे अपने वंश को प्रताड़ित या परेशान न करें, इसलिए उनके लिए सफेद मिठाई का दान करते हैं। पितरों को सफेद वस्तुएं दान करते हैं। श्वेत रंग सकारात्मकता का प्रतीक है, जिसे वे पाकर प्रसन्न होते हैं।
लगा हुआ पान
पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए पितृ पक्ष में उनको लगा हुआ पान दान करना चाहिए। लगा हुआ पान का मतलब पान के बीड़े से है। आप लगा हुआ पान दान करती हैं तो आपका घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाएगा।
अनाज का दान
अन्नदान में गेहूं, चावल का दान करना चाहिए। इनके अभाव में कोई दूसरा अनाज भी दान किया जा सकता है। यह दान संकल्प सहित करने पर मनोवांछित फल देता है।
वस्त्रों का दान
इस दान में धोती और दुपट्टा सहित दो वस्त्रों के दान का महत्व है। यह वस्त्र नए और स्वच्छ होने चाहिए।
सोने का दान
सोने का दान कलह का नाश करता है। किंतु अगर सोने का दान संभव न हो तो सोने के दान के निमित्त यथाशक्ति धन दान भी कर सकते हैं।
चांदी का दान
पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत प्रभावकारी माना गया है।
गुड़ का दान
गुड़ का दान पूर्वजों के आशीर्वाद से कलह और दरिद्रता का नाश कर धन और सुख देने वाला माना गया है।
नमक का दान
पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक का दान बहुत महत्व रखता है।
दक्षिणा
दक्षिणा के बिना कोई भी दान फलित नहीं होता है, वह व्यर्थ समझा जाता है। यहां पर दक्षिणा का अर्थ धन या पैसे से नहीं है। दक्षिणा में आप अपने पितरों के लिए कोई पात्र यानि बर्तन जैसे कटोरा, लोटा, थाली आदि दान कर सकते हैं।