लखनऊ। प्रदेश के नगरीय निकाय निदेशालय में वेस्ट टू वर्थ टेक्नोलॉजी फोरम (Waste to Worth Technology Forum) के तहत कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न कम्पनियों द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (ठोस अपशिष्ट प्रबंधन), वेट वेस्ट प्रबंधन (गीला अपशिष्ट प्रबंधन), स्रोत पृथक्करण, प्लास्टिक और गीले कचरे से खाद बनाना, लिचेट ट्रीटमेंट, वेस्ट टू एनर्जी आदि पर चर्चा की गई। कंपनियों ने अपशिष्ट निस्तारण, वाटर मैनेजमेंट के क्षेत्र में बेहतर कार्य के साथ ही दूसरे राज्यों में अपनाई जा रही आधुनिक तकनीक व सर्वोत्तम प्रथाओं पर भी चर्चा की गयी।
प्रदेश को कचरा मुक्त बनाना है: अमृत अभिजात
वेस्ट टू वर्थ टेक्नोलॉजी फोरम (Waste to Worth Technology Forum) की अध्यक्षता करते हुए प्रमुख सचिव अमृत अभिजात (Amrit Abhijat) ने कहा कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को तकनीक आधारित विधियों को अपनाते हुए कचरा मुक्त बनाना है। कार्यशाला में लगभग 40 कंपनियों ने आपशिष्ट प्रबंधन एवं निस्तारण की तकनीक आधारित विधियों पर चर्चा की। साथ ही अन्य राज्यों के भी अनुभव साझा किये गए, जिससे प्रदेश में तकनीक आधारित अपशिष्ट प्रबंधन और निस्तारण में सहायता मिलेगी। उन्होंने कार्यशाला में आयी सभी कंपनियों और प्रतिनिधियों को धन्यवाद देते हुए बताया कि प्रयागराज महाकुम्भ में लगभग 1500 टन रोज कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है।
कूड़ा प्रबंधन व निस्तारण के क्षेत्र में यूपी जल्द बनेगा अग्रणी राज्य : अनुज झा
सचिव अनुज कुमार झा (Anuj Jha) ने वेस्ट टू वर्थ टेक्नोलॉजी फोरम (Waste to Worth Technology Forum) में स्टेक होल्डर्स को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की कुल 86 लिगेसी साइट्स में से 58 को विलोपित करते हुए पार्क और मियावाकी वन क्षेत्र में परिवर्तित किया गया है। 22 साइट्स पर निस्तारण कार्य किया जा रहा है, वहीं 02 की टेंडर प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि 103.65 मीट्रिक टन लिगेसी वेस्ट का निस्तारण किया जा चुका है। 40,185 ट्विनबिन स्थापित किये गए हैं। 70 हज़ार सीट से अधिक कम्युनिटी/पब्लिक टॉयलेट बनाने के साथ ही, 09 लाख से अधिक व्यक्तिगत शौचालय बनाये गए हैं। 750 एमआरएफ प्लांट, 25 एमएसडब्ल्यू प्लांट्स के साथ ही 899 कम्पोस्ट पिट्स स्थापित किये गए हैं। वहीं 05 वेस्ट तो एनर्जी व सी एंडडी वेस्ट प्लांट लगाए गए हैं।
वर्तमान में 03 टेंडर को स्वीकृति मिली है और 18 यूडब्ल्यूएम प्लांट के टेंडर जल्द ही किये जायेंगे। वहीं डब्लूटीइ एंड सीबीजी की स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 600 टीपीडी का डब्लूटीइ प्लांट संचालित है और 3150 टीपीडी के प्लांट (गोरखपुर, वाराणसी, आगरा, अलीगढ, मुज़फ्फरनगर, मेरठ) निर्माणाधीन है। वहीं 1700 टीपीडी के 05 सीबीजी प्लांट (लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, गाजियाबाद और कानपुर) निर्माणाधीन हैं। वहीं 1150 टीपीडी के सीबीजी और 2650 टीपीडी के डब्लूटीई प्लांट स्थापित करना प्रस्तावित है।
इन विषयों पर हुआ प्रस्तुतीकरण
जेआईटीएफ अर्बन इंडिया लिमिटेड और री सस्टेनेबल लिमिटेड ने वेस्ट टू एनर्जी, बायोफिक्स, जीपीएस/आर्या व एसएफसी एनवायरनमेंटल टेक्नोलॉजीज ने बायो सीएनजी पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया। वहीं ट्रासकॉन ने सूखे कूड़े के निस्तारण विधि, द लिंक इओएफपीएल व भूमि ग्रीन एनर्जी ने लेगसी वेस्ट रेमीडिएशन, इक्यूब इंडिया 3आर वेस्ट ने सी एंड डी (कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलीशन) वेस्ट पर, पायरोचर सलूशन एलएलपी व ड्यू रिसोर्स मैनेजमेंट ने इंजीनियर्ड फ्यूल (आरडीएफ) पर, क्लेयरजीज ने प्लास्टिक वेस्ट और वीआरम्भ (फ्लावर वेस्ट) ने धार्मिक स्थलों और जलाशयों से निकालने वाले फूलों के निस्तारण विधि और आय के स्त्रोत पर प्रस्तुतीकरण दिया।
यूपी में पर्यटन विकास से खुल रहे रोजगार के नए अवसर
इस कार्यशाला में अपर निदेशक ऋतु सुहास, उपनिदेशक विजेता , सहायक निदेशक सविता शुक्ला, अपर निदेशक (प/क) डॉo असलम अंसारी, मुख्य अभियंता कमलजीत सिंह, सहायक अभियंता शिवम सिंह समेत प्रदेश के सभी नगर निगमों के चीफ इंजीनियर, नगर स्वास्थ्य अधिकारी समेत 40 नगर निकायों के अधिशाषी अधिकारी, सफाई इंस्पेक्टरों ने प्रतिभाग किया।