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दुनिया की सबसे ऊंची शिवमूर्ति का आज होगा लोकार्पण, 3000 टन स्टील से 10 साल में बनी

shrinath ji

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जयपुर। राजस्थान में श्रीनाथ जी (Shrinath ji) की नगरी राजसमंद के नाथद्वारा में आज 3000 टन स्टील से बनी दुनिया की सबसे ऊंची भगवान शिव (Shiv) की भव्य मूर्ति का अनावरण होगा। प्रसिद्ध कथावाचक मुरारी बापू की मौजूदगी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस प्रतिमा का लोकार्पण कर पूजन करेंगे। इस मूर्ति का निर्माण कार्य करीब दस साल में पूरा हो पाया है। इस मूर्ति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर के अंदर भ्रमण करने के लिए चार लिफ्ट लगी हैं। इसके अलावा तीन सीढ़ियों की मदद से भी ऊपरी सतह तक जाया जा सकता है।

इस मूर्ति का निर्माण सनातन धर्म के लिए समर्पित संस्था ततपदम उपवन ने कराया है। दावा किया जा रहा है कि 369 फुट ऊंची यह विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा है। इस प्रतिमा के लोकार्पण के अवसर पर आज से परिसर में नौ दिवसीय रामकथा का भी आयोजन किया गया है। इसके लिए करीब सवा लाख लोगों के बैठकर कथा सुनने के लिए शानदार पांडाल की व्यवस्था की गई है। 29 अक्टूबर से शुरू होकर कथावाचक मुरारी बापू के द्वारा यह कथा 6 नवंबर तक सुनाई जाएगी। इसमें देश-विदेश के कई बड़े राजनेता, व्यापारी, समाजसेवी और आमजन हिस्सा ले रहे हैं।

आस्ट्रेलिया में हुआ विंड टनल टेस्ट

जानकारी के मुताबिक भगवान शिव की इस सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण 250 वर्षों की स्थिरता को ध्यान रखते हुए किया गया है। दावा किया जा रहा है कि यदि 250 किमी की रफ्तार से भी हवा चले तो इस मूर्ति को कोई नुकसान नहीं होगा। इस मूर्ति की डिजाइन का विंड टनल टेस्ट (ऊंचाई पर हवा) आस्ट्रेलिया में कराया गया है। इसमें बरसात और धूप से बचाव के लिए जिंक की कोटिंग कर कॉपर कलर किया गया है। वहीं इसके निर्माण में करीब 3000 टन स्टील और लोहा के अलावा 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल किया गया है।

अल्हड़ मुद्रा में बनी है शिवमूर्ति

संत कृपा सनातन संस्थान के ट्रस्टी मदन पालीवाल ने बताया की वर्षो पूर्व श्रीनाथ जी (Shrinath ji) की नगरी में भगवान शिव की अल्लड़ मुद्रा में विश्व की सबसे बड़ी शिव मूर्ति बनवाने का ड्रीम प्रोजेक्ट तैयार किया था। यह अब तैयार हो कर अपनी पूर्णता ले चुका है। नाथद्वारा की गणेश टेकरी पर बनी इस 369 फीट ऊंची प्रतिमा 51 बीघा की पहाडी पर बने कैंपस में स्थापित हो रही है। इसे 20 किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है। रात्रि में भी यह प्रतिमा स्पष्ट रूप से दिखाई दे, इसके लिए विशेष लाइट्स से इसकी विद्युत सज्जा की गई है।

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