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जन्माष्टमी के दिन राशि अनुसार करें पूजा, कान्हा करेंगे हर मनोकामना पूर्ण

Janmashtami

Janmashtami

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र, हर्षण योग और वृषभ राशि में जब चंद्रमा था तब रात 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस बार जन्माष्टमी (Janmashtami) दो दिन मनाई जानी है, 15 और 16 अगस्त को। इस दिन हर तरफ श्रीकृष्ण ​के नाम की धूम होती है और धूमधाम और श्रद्धा से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता हैं।

इस बार आप जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन अपनी राशि के अनुसार भगवान कृष्ण की पूजा करें ताकि आपकी हर मनोकामना पूर्ण हो और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त हो।

आइये जानते हैं राशिनुसार कैसे करें भगवान श्री कृष्ण की पूजा

मेष राशि

लाल वस्त्र पहनाएं, कुमकुम का तिलक लगाकर माखन मिश्री का भोग लगाएं। तुलसी की माला से ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें।

वृषभ राशि

चांदी के वर्क से श्रृंगार करें और सफेद वस्त्र व सफेद चंदन अर्पित करें और माखन का भोग लगाएं। कमल गट्टे की माला से “श्रीराधाकृष्ण शरणम् मम” मंत्र की 11 माला का जाप करें।

मिथुन राशि

लहरिया वाले वस्त्र पहनाएं और पीला चंदन अर्पित करें और दही का भोग अर्पित करें। तुलसी या स्फटिक की माला से “श्रीराधायै स्वाहा” मंत्र की 11 माला का जाप करें।

कर्क राशि

सफेद वस्त्र पहनाएं और दूध व केसर का भोग लगाएं। “श्रीराधावल्लभाय नम:” मंत्र की 5 माला का जाप करें।

सिंह राशि

गुलाबी वस्त्र पहनाएं और अष्टगंध का तिलक लगाकर माखन मिश्री का भोग लगाएं। “ऊं विष्णवे नम”: मंत्र का जाप करें।

कन्या राशि

हरे रंग के सुंदर वस्त्र पहनाएं और मावे की बर्फी बनाकर भोग लगाएं। “ह्रीं श्रीं राधायै स्वाहा” मंत्र की 11 माला का जाप करें।

तुला राशि

केसरिया या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनाएं व माखन-मिश्री और घी का भोग लगाएं। “लीं कृष्ण लीं” मंत्र की 11 माला का जाप करें।

वृश्चिक राशि

लाल वस्त्र पहनाएं और भोग में मावा, माखन या दही में से कोई एक चीज जरूर अर्पित करें। “श्रीवृंदावनेश्वरी राधायै नम:” मंत्र की कम से कम 5 माला का जाप करें।

धनु राशि

पीले रंग के वस्त्र पहनाएं व पीली मिठाई का भोग लगाएं। “ऊं नमो नारायणाय” मंत्र की 5 माला का जाप करें।

मकर राशि

नारंगी रंग के वस्त्र पहनाएं और कान्हा को मिश्री का भोग लगाएं। “ऊं लीं गोपीजनवल्लभाय” नम: मंत्र का जाप करें।

कुंभ राशि

नीले वस्त्र पहनाएं। दूध से अभिषेक करें और बालूशाही का भोग लगाएं। “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र की 11 माला का जाप करें।

मीन राशि

पीताम्बरी पहनाएं और साथ में आभूषण पहनाएं। केसर और मावे की बर्फी का भोग लगाएं। ”ऊं लीं गोकुलनाथाय नम:” मंत्र का जाप करें।

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