हिंदू धर्म शास्त्रों में बसंत पंचमी (Basant Panchami) का पर्व बहुत विशेष माना गया है। बसंत पंचमी का दिन ज्ञान, विद्या और संगीत की देवी माता सरस्वती को समर्पित किया है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, बसंत पचंमी को माता सरस्वती प्रकट हुईं थीं। ये पर्व माता के जन्मदिन के रूप में मानाया जाता है। बसंत पंचमी पर माता सरस्वती का पूजन किया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन विधि-विधान से माता सरस्वती का पूजन करने से बुद्धि ज्ञान के साथ ही सौभाग्य, तरक्की और धन धान्य भी बढ़ता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि साल बसंत पचंमी का पर्व किस दिन मानाया जाएगा। साथ ही बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
कब मनाई जाएगी बसंत पंचमी (Basant Panchami)?
दरअसल, बंसत पंचमी का पर्व माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी सुबह 9 बजकर 16 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि का समापन 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 54 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी को मनाया जाएगा।
बसंत पचंमी (Basant Panchami) पर पूजा का शुभ मुहूर्त
वहीं बसंत पंचमी (Basant Panchami) पर माता सरस्वती के पूजन का मुहूर्त 2 फरवरी के दिन सुबह 7 बजकर 9 मिनट पर शुरू हो जाएगा। माता सरस्वती के पूजन का ये मुहूर्त 2 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इस दिन माता सरस्वती के पूजन के लिए सिर्फ 5 घंटे 26 मिनट का समय मिलेगा। इस दिन रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। ये दोनों ही योग ज्योतिष में बड़े शुभ माने गए हैं। मान्यता है कि जो इन दोनों योगों में पूजा करता है उसकी हर कामना पूरी होती है।
बसंत पंचमी (Basant Panchami) पूजा विधि
– बसंत पंचमी के दिन स्नान करके पीले, बसंती या सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए।
– फिर पूजा स्थल को साफ करके वहां एक चौकी रखकर उसपर पिला कपड़ा बिछाकर उसपर माता की तस्वीर या मूर्ति रखनी चाहिए।
– इसके बाद मां सरस्वती को श्वेत चंदन पीले और सफेद फूल चढ़ाने चाहिए।
– माता को मिश्री, दही या केसर की खीर का खीर का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
– मां सरस्वती के मूल मंत्र ‘ऊं ऐं सरस्वत्यै नम:’ का जाप अवश्य करना चाहिए।
– जाप के बाद प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।