भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (Kajari Teej) मनाई जाती है। यह पर्व जन्माष्मटी से पांच दिन पहले और रक्षाबंधन के तीन दिन बाद आता है। कजरी तीज (Kajari Teej) पर भगवान शिव और माता पार्वत की उपासन का विधान है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। मनचाहा वर पाने के लिए कुंवारी लड़कियां भी ये व्रत रख सकती हैं। इस साल कजरी तीज का त्योहार आज यानी रविवार, 14 अगस्त को मनाया जा रहा है।
कजरी तीज (Kajari Teej) शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार तृतीया तिथि 13 अगस्त की रात 12 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 14 अगस्त की रात 10 बजकर 34 मिनट तक रहेगी। इसलिए उदायतिथि के अनुसार इस बार कजरी तीज का त्योहार 14 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
ये बन रहे हैं शुभ योग
ज्योतिष पंचांग के अनुसार कजरी तीज (Kajari Teej) के दिन सुकर्मा योग प्रात:काल से लेकर देर रात 01 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग रात 09 बजकर 57 मिनट से अगले दिन 15 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 51 मिनट तक है। इसलिए ज्योतिष के दृष्टिकोण से इस त्योहार का महत्व और बढ़ गया है।
पूजन विधि
कजरी तीज (Kajari Teej) पर नीमड़ी माता को जल, रोली और चावल अर्पित किए जाते हैं। नीमड़ी माता को मेहंदी और रोली लगाएं। नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं। इसके बाद फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर कलावा बांधें। पूजा स्थल पर घी का बड़ा दीपक जलाएं और माता पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करें और उनका आशीर्वाद लें। कजरी तीज पर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए।
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कजरी तीज (Kajari Teej) की व्रत कथा
पौराणिक व्रत कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। भाद्रपद महीने की कजरी तीज पर उसकी पत्नी ने तीज माता का व्रत रखा। उसने ब्राह्मण से कहा कि आज मेरा तीज माता का व्रत है और आप कहीं से चने का सातु लेकर आइए। ब्राह्मण ने कहा कि मैं सातु कहां से लाऊं। ब्राह्मणी ने कहा कि चाहे चोरी करो चाहे डाका डालो लेकिन मेरे लिए सातु कहीं ले भी लेकर आओ। रात का समय था और ब्राह्मण घर से सातु लेने के लिए निकला। वो साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने चने की दाल, घी, शक्कर लेकर सवा किलो तोलकर सातु बना लिया और चुपके से निकलने लगा। उसकी आवाज सुनकर दुकान के नौकर जाग गए और चोर-चोर चिल्लाने लगे।
आवाज सुनकर साहूकार आया और उस ब्राह्मण को पकड़ लिया। फिर ब्राह्मण ने सफाई देते हुए कहा कि मैं चोर नहीं, बल्कि एक गरीब ब्राह्मण हूं। मेरी पत्नी का आज तीज का व्रत है, इसलिए मैं सिर्फ यह सवा किलो का सातु बनाकर ले जा रहा था। जब साहूकार ने उसकी तलाशी ली तो उसे वाकई ब्राह्मण के पास से सातु के अलावा कुछ नहीं मिला। साहूकार ने कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा। साहूकार ने ब्राह्मण को सातु, गहने, रुपए, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर ठाठ से विदा किया। सबने मिलकर कजरी माता की पूजा की। जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे।।। कजरी माता की कृपा सब पर हो।