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एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर इस खास विधि से करें पूजा, बप्पा होंगे प्रसन्न

Sankashti Chaturthi

Sankashti Chaturthi

संकष्ठी चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi) के व्रत विघ्न हर्ता भगवान गणेश को समर्पित है। भगवान गणेश को कई नाम से जाना जाता है एकादंता संकष्टी चतुर्थी बप्पा के एकादंता नाम को समर्पित हैं। पंचांग के अनुसार, जेष्ठ माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। यह तिथि बप्पा को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। महिलाएं यह व्रत अपनी संतान की दीर्घायु के और तरक्की के लिए पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वालों को जीवन की सभी परेशानियों और विघ्नों से छुटकारा मिलता है।

एकादंता संकष्टी चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi) पूजा विधि

एकादंता संकष्टी चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi) के दिन भगवान गणेश की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें। फिर पूजा स्थल की साफ-सफाई करने के बाद गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। उसके बाद मूर्ति का गंगाजल से या शुद्ध जल से अभिषेक करें। उन्हें लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और हल्दी, चंदन और कुमकुम से श्रृंगार करें। फिर भगवान गणेश को प्रिय दुर्वा,घास, पीले और लाल रंग के फूल चढ़ाएं। सके बाद दीप और धूप प्रज्वलित कर आरती करें। पूजा के दौरान ॐ गं गणपतये नमः अथवा ॐ वक्रतुण्डाय हुं मंत्रों का जप करें। व्रत कथा का पाठ करें और चंद्रोदय के बाद अर्घ्य दें।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Ekdant Sankashti Chaturthi) व्रत का महत्व

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी पर भगवान परशुराम में अपने फरसे से प्रहार कर दिया था, जिससे उनका एक दांत टूट गया। तब से ही गणेश जी को एकदंत कहा जाता है। एकदंत संकष्टी पर पूजा और व्रत करने से सारे संकट दूर होते हैं। मान्यता यह भी है कि इस संकष्टी व्रत से सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

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