Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

आज दुर्गाष्टमी पर करें मां दुर्गा के महागौरी स्वरुप की पूजा, जानें ​विधि एवं आरती

Maa Gauri

Maa Gauri

आज चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) का आठवां दिन है। इस दिन को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी कहते हैं। चैत्र शुक्ल अष्टमी को मां दुर्गा के महागौरी ( Maa Gauri ) स्वरुप की विधि विधान से पूजा की जाती है। आज के दिन कई स्थानों पर कन्या पूजन भी करते हैं। मां महागौरी सभी संकटों को दूर करने वाली देवी हैं।

चार भुजाओं वाली मां महागौरी ( Maa Gauri ) का अस्त्र त्रिशूल है। एक भुजा में डमरू धारण करती हैं। बाकी दो भुजाएं अभय और वरद मुद्रा में रहती हैं। वह अत्यंत ही गौर वर्ण की हैं और सफेद वस्त्र एवं आभूषण धारण करती हैं। मां के भक्त व्रत का समापन करने के लिए अष्टमी पर कन्या पूजन करते हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा, हवन व कन्या पूजन आदि किया जाता है। जिसके बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। आइए जानते हैं मां महागौरी की पूजा विधि, कन्या पूजन एवं आरती के बारे में…

देवी महागौरी ( Maa Gauri ) की पूजा विधि

महाष्टमी के सुबह मां महागौरी की पूजा सफेद पुष्प से करें। माता को सफेद रंग प्रिय है। माता को सिंदूर, अक्षत्, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, गंध चढ़ाएं और उनको नारियल का भोग लगाएं। नारियल या नारियल से बनी मिठाई या अन्य खाद्य पदार्थों का भोग लगाने से देवी महागौरी प्रसन्न होती हैं। इस दौरान माता के मंत्रों का उच्चारण करें और अंत में घी के दीपक से आरती करें।

कन्या पूजन

महागौरी की पूजा के बाद कन्या पूजन करें। 2 साल से लेकर 10 साल तक की कन्याओं को घर पर बुलाएं। उनका पूजन करके आशीष लें और उनको भोजन कराएं। भोजन के बाद दक्षिणा और उपहार देकर सहर्ष विदा करें। फिर उनको अगले साल आने के लिए कहें।

मां महागौरी ( Maa Gauri ) का मंत्र

श्वेते वृषे समरुझा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोद:

या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपे स्थथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

देवी महागौरी ( Maa Gauri ) की आरती

जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहा निवास॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे॥
भीमा देवी विमला माता।
कोशकी देवी जग विखियाता॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आने वाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
‘चमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥

Exit mobile version