नवरात्रि का पावन पर्व जारी हैं और आज अंतिम दिन महानवमी को मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा की जाती हैं। इन 9 दिनों में भक्त यही प्रयास करते है कि वह माँ को प्रसन्न कर सके। इसके लिए भक्तगण विधि-विधान से देवी की आराधना भी करते है। इसी के साथ आज माता का कीर्तन, चौकी एवं जागरण भी किया जाता है। माँ भगवती की असीम कृपा पाने के लिए आज इस कड़ी में हम आपको मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजन विधि के साथ ही मातारानी को समर्पित किए जाने वाले काम की जानकारी देने जा रहे हैं। आइये जानते हैं महानवमी पूजन विधि, आरती और किए जाने वाले उपायों के बारे में…
पूजन विधि
महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। साथ ही देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित एक चौकी पर स्थापित करें। अगर सिद्धिदात्री देवी की प्रतिमा नहीं है, तो मां दुर्गा का चित्र या प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं। साथ ही श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, की स्थापना भी करें। इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक और सप्तशती मंत्रों का जाप करें। इसके बाद कन्या पूजन करें और कन्याओं को उपहार दें। इस दिन हलुआ और चना का माता को भोग लगाएं।
करें हवन
अगर आप नवरात्र में माँ (Maa Siddhidatri) को प्रसन्न करना चाहते है और माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते है उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते है तो आपको विधि पूर्वक महानवमी पर हवन पूजन करना चाहिए। नवरात्रि की नवमी पर जो हवन करेंगे उसमें देवी के सहस्त्रनामों का जाप करना चाहिए। जब आप ऐसा करते है तो आपको इसका फल कई गुना बढ़कर मिलता है।
करें कन्या पूजन
वैसे तो हम नवमी एवं अष्टमी के दिन कन्या पूजा करते है। कहते है कि कन्या पूजन के बिना नवरात्री का पर्व अधूरा माना जाता है। कन्या पूजन के साथ साथ इस दिन आपको कन्याओं को उपहार स्वरूप भी कुछ देना चाहिए।
इस से माँ दुर्गा आपसे प्रसन्न होती है। क्योंकि इन कन्याओं को इस दिन माँ दुर्गा का रूप मानकर ही इनकी पूजा की जाती है। अगर आपके घर आई ये कन्याएं प्रसन्न हो गई तो माँ दुर्गा भी आपसे जरूर ही प्रसन्न होंगी।