धर्म डेस्क। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष अजा एकादशी 15 अगस्त दिन शनिवार को है। अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है, उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को इस जन्म और पूर्व के जन्म के पापों से मुक्ति मिल जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, अजा एकादशी का व्रत करने से ही सत्यवादी राजा हरिशचंद्र के सभी कष्ट दूर हो गए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अजा एकादशी की कथा सुनने लेने से ही अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त हो जाता है। आइए जानते हैं कि अजा एकादशी के दिन व्रत एवं पूजा का मुहूर्त क्या है?
अजा एकादशी मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 14 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से हो रहा है, जो 15 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट तक है। व्रत में सूर्योदय व्यापिनी तिथि मान्य होती है, ऐसे में अजा एकादशी का व्रत 15 अगस्त को रखना उचित है।
अजा एकादशी: पारण का समय
एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद ही किया जाता है। एकादशी व्रत के पारण का समय 16 अगस्त रविवार को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से दिन में 08 बजकर 29 मिनट तक है। पारण में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व ही पारण कर लिया जाए। पारण के दिन द्वादशी तिथि दोपहर 01 बजकर 50 मिनट पर समाप्त हो रही है। अत: दिए गए समय में पारण कर व्रत को पूर्ण किया जाता है।
एकादशी व्रत में ध्यान रखने वाली बातें
- एकादशी व्रत में चावल का प्रयोग न करें और न ही भोजन करें।
- एकादशी से पूर्व की रात्रि यानी दशमी की रात्रि में मसूर के दाल का सेवन न करें।
- व्रत में चना करौंदा और पत्तेदार साग आदि का सेवन न करें।
- आज के दिन शहद खाने पर भी प्रतिबंध होता है।
- व्रत से एक दिन पूर्व मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन न करें।