सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ (Karwa Chauth) का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए ये व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं शिव और माता पार्वती से प्रार्थना कर उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। मान्यता है कि जो महिला करवा चौथ का व्रत रखती है वो अंखड सौभाग्य का आशीर्वाद पाती है। इस दिन पूजा-पाठ और चंद्रमा को अर्घ्य देते समय दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सही दिशा में मुख करके की जाने वाली पूजा ही सफल मानी जाती है, तो चलिए जानते हैं कि इस दिन पूजा करने, कथा सुनने और चंद्रमा को अर्घ्य देने की सही दिशा क्या होती है?
इस दिशा में बैठकर करनी चाहिए करवा चौथ (Karwa Chauth) की पूजा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, करवा चौथ (Karwa Chauth) की पूजा भूलकर भी दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके नहीं करनी चाहिए। कहते हैं दक्षिण दिशा की ओर मुख करके की जाने वाली करवा चौथ की पूजा कभी स्वीकार नहीं की जाती है। करवा चौथ की पूजा करते समय हमेशा मुख को की ओर रखना चाहिए। उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से पूजा फलित होती है।
इस दिशा में मुख करके देना चाहिए चंद्रमा को अर्घ्य
करवा चौथ (Karwa Chauth) की व्रत कथा सुनते समय भी दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। करवा चौथ की व्रत कथा हमेशा पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही सुननी चाहिए।
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि करवा चौथ के दिन जब चंद्रमा को अर्घ्य दें तो मुख उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए। मतलब उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके ही चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।