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सुख-शांति और समृद्धि के लिए ऐसे करें शीतला माता की पूजा

Sheetla Ashtami

Sheetla Ashtami

होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी (sheetala ashtami) का पर्व मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और ठंडा भोजन किया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और गुजरात में मनाया जाता है।

उत्तर भारत में शीतला अष्टमी (sheetala ashtami) को बसौड़ा, लसौड़ा या बसियौरा भी कहा जाता है। इस साल शीतला अष्टमी 4 अप्रैल को पड़ रही है। शीतला अष्टमी पर सुहागिन महिलाएं शीतला माता की पूजा कर अपने परिवार की सुख शांति की कामना करती हैं।

शीतला अष्टमी (sheetala ashtami) शुभ मुहूर्त

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ : 25 मार्च, 2022 को आधी रात के बाद 2 बजकर 39 मिनट से शुरू

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समापन : 26 मार्च, 2022 को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर समापन

कैसे की जाती है शीतला अष्टमी की पूजा

शीतला माता की पूजा सूर्योदय से पहले होती है।

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है।

फिर शीतला माता के मंदिर में जाकर देवी को ठंडा जल अर्पित कर उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है।

देवी को श्रीफल (नारियल) अर्पित करते हैं और एक दिन पूर्व पानी में भिगोई हुई चने की दाल चढ़ाई जाती है।

शीतला माता को ठन्डे भोजन का नैवेद्य लगता है इसलिए भोजन एक दिन पहले ही बनाकर रख लिया जाता है।

मंदिर में शीतला माता की पूजा कर उनकी कथा सुनने के बाद घर आकर मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओर हल्दी से हाथ के पांच पांच छापे लगाए जाते हैं।

शीतला माता को जो जल अर्पित किया जाता है उसमें से थोड़ा-सा बचाकर उसे पूरे घर में छींट देते हैं। ऐसा करने से देवी की कृपा हमेशा बनी रहती है।

शीतला सप्तमी/अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। इस दिन लोग खाने में भी एक दिन पूर्व बना हुआ ठंडा भोजन करते हैं।

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