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दशहरा पर इस देवी की आराधना नहीं की, तो अधूरी मानी जाती है नवरात्रि की पूजा

Chaitra Navratri

Chaitra Navratri

बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व दशहरा (Dussehra) इस वर्ष 23 अक्टूबर 2023 को मनाया जाएगा। विजयादशमी के दिन दुर्गा पूजा के लिए रखी गई दुर्गा प्रतिमाओं का विजर्सन किया जाएगा। हालांकि कई जगहों पर कन्या पूजन के बाद पारण कर व्रत को लोग पूर्ण कर देते हैं। लेकिन दशहरा (Dussehra) वाले दिन भी देवी की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि विजयादशमी के दिन किस देवी की पूजा की जाती है और उनके किस मंत्र का जाप किया जाता है।

कहा जाता है कि लंका विजय से पूर्व भगवान श्री राम ने अपराजिता देवी की पूजा की थी। इस पूजन का उद्देश्य सभी दिशाओं में विजय प्राप्ति से था। अपराजिता देवी के नाम से ही ज्ञात होता है कि य​​ह वे देवी हैं, जिनको कोई पराजित नहीं कर सकता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को विजय मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

दशहरा (Dussehra) वाले दिन, जिसे दुर्गा विसर्जन का दिन भी कहा जाता है, अपराजिता देवी की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। रावण वध के उपलक्ष्य में दशहरा मनाया जाता है। कई स्थानों पर भगवान राम की शक्ति पूजा को ध्यान में रखकर अपराजिता देवी की आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है ​कि अपराजिता देवी की आराधना के बिना नवरात्रि की पूजा रह जाती है।

विजयादशमी के दिन भगवान राम की पूजा करने से पूर्व ही अपराजिता देवी की पूजा कर लेनी चाहिए, इसके लिए अपराह्न का समय उत्तम माना जाता है। पूजा के समय देवी सूक्तम का पाठ अवश्य करें। इसके बाद ओम अपराजितायै नम: मंत्र का जाप कम से कम 11 बार कर सकते हैं। इस आप देवी कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ भी करें तो उत्तम है।

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