नई दिल्ली। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तानाशाही जारी है। जिनपिंग कोरोना वायरस से निपटने के मामले को लेकर अपने देश में ही आलोचना का शिकार होना पड़ा। आलोचना करने वाले एक बड़े बिजनेसमैन को भारी पड़ गया। बता दें कि इस बिजनेसमैन को सार्वजनिक रूप से चीनी राष्ट्रपति की निंदा करने पर भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है।
बताया जा रहा है कि सरकारी रियल एस्टेट कंपनी के पूर्व अध्यक्ष रेन झिकियांग को भ्रष्टाचार के आरोप में 18 साल के लिए जेल में डाल दिया गया है। इतना ही नहीं झिकियांग को सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
18 साल की जेल और छह लाख 20 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया
बता दें कि रेन झिकियांग पर आरोप लगाते हुए पेइचिंग की एक अदालत ने कहा कि झिकियांग भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए है। इन पर करोड़ों डॉलर की घूस लेने का भी इल्जाम लगा था। इन आरोपों पर जज ने झिकियांग को 18 साल की जेल और छह लाख 20 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया था। यहां कोर्ट ने ये भी कहा कि झिकियांग ने खुद ही अपने सभी आरोप मान लिए और उनके पास से इलीगल मनी भी बरामद की गई।
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सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार इस चीनी अरबपति का गुनाह निश्चित रूप से भ्रष्टाचार नहीं
वहीं इसके उलट सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार इस चीनी अरबपति का गुनाह निश्चित रूप से भ्रष्टाचार नहीं था, बल्कि इसने चीनी राष्ट्रपति की कोरोना महामारी को न संभाल पाने को लेकर आलोचना की थी। ऐसा होना कोई नया नहीं है। चीनी सरकार के खिलाफ बोलने वालों के खिलाफ अक्सर करप्शन आरोप लगा कर उन्हें जेल में डाल दिया जाता है।
रेन झिकियांग को लेख लिखना भारी पड़ा
रिपोर्ट के अनुसार रेन पर आरोप लगने तब शुरू हुए जब उन्होंने एक लेख ऑनलाइन पब्लिश किया। रेन अक्सर ही प्रेस सेंसरशिप और दूसरे सेंसटिव मामलों पर लिखते रहते हैं। अपने जूनून के चलते ही रेन ने मार्च में एक लेख ऑनलाइन पब्लिश किया जिसके बाद उन्हें फिर सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया।
लेख के जरिये रेन ने चीनी राष्ट्रपति पर आरोप लगाते हुए लिखा कि कोरोना वायरस के प्रकोप को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग संभाल नहीं पाए
बता दें कि इस लेख के जरिये रेन ने चीनी राष्ट्रपति पर आरोप लगाते हुए लिखा था कि वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस के प्रकोप को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग संभाल नहीं पाए। जिसके बाद बिजनेसमैन रेन पर भ्रष्टाचार, गबन, रिश्वत लेने और सरकार के स्वामित्व वाली एक कंपनी में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था।