पश्चिम बंगाल में आए चक्रवात ने पूर्व मेदिनीपुर के मशहूर टूरिस्ट स्पॉट दीघा को तहस-नहस कर दिया है। जहां लोग सारा दिन समुद्र के खूबसूरत किनारों के सामने चहलकदमी करते थे, वहां आज नजारे कुछ अलग हैं।
फुटपाथ टूटे हुए हैं, सड़कों पर पेड़ गिरे पड़े हैं, बिजली कट गई है, समुद्र के किनारे रखे बड़े-बड़े पत्थर लहरों के साथ बहकर सड़कों पर हैं और तूफान के साथ होटल और रेस्तरां में घुसे पानी के साथ सामान बह चुका है। कई छोटे-बड़े रेस्तरां टूट चुके हैं।
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूर्व मेदिनीपुर जिले में दौरे पर आने वाले हैं। दोनों चक्रवात प्रभावित लोगों से मुलाकात करेंगे और नुकसान का आकलन कर भरपाई की घोषणा भी करेंगे।
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अब दीघा में पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों की उम्मीदें इसी पर टिकी हुई हैं। जो लोग पर्यटन कारोबार से जुड़े हैं उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि चक्रवात तो बहुत देखे लेकिन जितना नुकसान इसकी वजह से हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। गनीमत रही कि मौसम विभाग से पहले ही अलर्ट मिल गया था, जिसके कारण समुद्र किनारे रहने वाले लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया गया थाफिर भी सारे सामान की सुरक्षा नहीं की जा सकी।
ऐतिहासिक बेलूर मठ में भी घुस गया था पानी
चक्रवात ने न केवल समुद्र के बिल्कुल किनारे के जिलों को प्रभावित किया बल्कि दूरी पर अवस्थित जिले भी प्रभावित हुए हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि समुद्र तट से करीब डेढ़ सौ से 200 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद हावड़ा के मशहूर बेलूर मठ में भी पानी घुस गया था।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद से जुड़े इस आश्रम को गंगा नदी के तट पर बनाया गया है। प्रबंधन ने बताया है कि चक्रवात की वजह से इतनी अधिक बारिश हुई कि हुगली नदी में बाढ़ आई है और पानी आश्रम के अंदर घुस गया है।
इससे कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की ओर से बनाई गई जेटी को भी नुकसान पहुंचा है। उल्लेखनीय है कि चक्रवात की वजह से पश्चिम बंगाल और ओडिशा के 20 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।