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निर्भीक और सकारात्मक बनाता है योग, कोरोना काल में किस योग के क्या हैं फायदे

कोरोना के कहर ने डर और दहशत का माहौल बना रखा है। कोरोना कल में लोगों को इस संकट से उबरने के लिए योग शिक्षक रवि शंकर पांडेय ने कहा, कि कोरोना को मात देने के लिए योग सबसे कारगर जरिया है। उन्होंने बताया कि योगाभ्यास शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। आसन, प्राणायाम और अन्य योग शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर कर व्यक्ति को निर्भीक बनाते हैं और कोरोना को मात देने में मदद मिलती है।

मास्क और शारीरिक दूरी है जरूरी

रविशंकर ने बताया कि कोविड-19 ऐसी महामारी है, जिससे मुकाबले के लिए शारीरिक और मानसिक मजबूती बेहद जरूरी है। सबसे पहले हमें मास्क, शारीरिक दूरी, गल्व्स पहनने और अन्य कोविड-19 बचाव प्रोटोकॉल का हर हाल में पालन करना होगा। इसके बाद नियमित तौर पर योगाभ्यास के जरिए शरीर की आंतरिक शक्ति को हम मजबूत बना सकते हैं जो कोरोना को निष्प्रभावी करने में कारगर साबित होगा। उन्होंने बताया कि कोरोना को मात देने का सबसे कारगर जरिया यही है कि शरीर के अंदर जो रोग प्रतिरोधक क्षमता है, उसे मजबूत बनाएं रखें।

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निर्भीक और सकारात्मक बनाता है योग

नकारात्मक मीडिया रिपोर्टिंग के जरिए बने डर और दहशत के माहौल में योग के लाभ का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति नियमित तौर पर योगाभ्यास करता है वह निर्भीक रहता है क्योंकि उसे कहीं से भी शरीर में किसी तरह की कोई कमजोरी का एहसास नहीं होता। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है जो व्यक्ति में सकारात्मकता का संचार करता है। इसके अलावा योग हमें वर्तमान में जीना सिखाता है जिसकी वजह से भविष्य के संकट की चिंता नहीं होती और किसी भी रोग से उबरने में मददगार होती है। महामारी को मात देने के लिए अपने फार्मूले पर बल देते हुए रवि ने कहा कि बचाव के सारे उपाय अपनाएं और नियमित योग करें। कोरोना ही नहीं हर तरह की बीमारी से जीवन भर स्वस्थता बनी रहेगी।

किस योग के क्या है फायदे

रवि ने बताया कि षटकर्म की क्रियाएं जैसे जलनेती और कुंजल का नियमित अभ्यास शरीर से अतिरिक्त कफ की मात्रा को बाहर निकालता है। इसी तरह से शशांक आसन, गोमुखासन, श्वासन, मत्स्य क्रिड़ासन व योगनिद्रा का नियमित अभ्यास शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर करता है। योगनिद्रा का अभ्यास संकल्प शक्ति भी बढ़ाता है, जिससे बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है। भुजंगासन, कंधरासन, गोमुखासन, उष्ट्रासन, पश्चिमोत्तानासन के अभ्यास से हमारे फेफड़े और हृदय को मजबूती मिलती है। इसके अलावा उदर श्वसन, भौंगिक श्वसन, मस्तिका, उज्जाई व नाड़ी शोधन प्राणायाम रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार है। इससे ऑक्सीजन सेचुरेशन भी बढ़ता है।

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