उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के निजी अस्पतालों में कोरोना टेस्ट और इलाज कराने की कीमत निर्धारित कर दी है। इस संबंध में मंगलवार देर रात शासनादेश भी जारी कर दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद के हस्ताक्षर से जारी शासनादेश में फीस का निर्धारण तीन अलग-अलग श्रेणियों में किया गया है।
कोरोना जांच फीस 500 से 900 रुपये तक
कोरोना जांच की फीस के संबंध में आदेश है कि यदि निजी चिकित्सालय द्वारा निजी प्रयोगशाला में सैम्पल भेजा जाता है अथवा किसी व्यक्ति द्वारा प्रयोगशाला में स्वयं जाकर कोविड-19 की जांच करायी जाती है तो इसके लिए जांच की फीस जीएसटी समेत 700 रुपये होगी।
वहीं, निजी प्रयोगशाला द्वारा स्वयं एकत्र किये गये सैम्पल की जांच दर जीएसटी समेत 900 रुपये निर्धारित हुई है। इसके अलावा यदि राज्य सरकार के अधिष्ठान द्वारा निजी प्रयोगशाला में सैम्पल भेजा जायेगा तो जांच की फीस जीएसटी समेत 500 रुपये होगी।
इलाज दर ए श्रेणी के नगरों में आठ हजार से 18 हजार तक
कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के इलाज के संबंध में नीति आयोग भारत सरकार की संस्तुतियों का हवाला देते हुए शासनादेश में तीन श्रेणी की दर निर्धारित की गयी है।
‘ए’ श्रेणी के नगरों में सुपर स्पेशिलिटी की सुविधा वाले निजी चिकित्सालयों में हल्की बीमारी की स्थिति में प्रतिदिन की दर आठ से दस हजार रुपये निर्धारित की गयी है।
गंभीर बीमारी की स्थिति में यह दर 13 से 15 हजार रुपये और अति गंभीर स्थिति में 15 से 18 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से तय किया गया है। इस शुल्क में पीपीई किट के भी दाम सम्मिलित हैं।
वहीं, ‘बी’ और ‘सी’ श्रेणी के नगरों के अस्पतालों में इस दर का क्रमशः 80 प्रतिशत और 60 प्रतिशत शुल्क देय होगा।
उप्र में ये हैं विभिन्न श्रेणी के नगर
शासनादेश में प्रदेश के ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ श्रेणी के नगरों का भी विभाजन दर्शाया गया है-
‘ए’ श्रेणी के नगरों में राजधानी लखनऊ के अलावा कानपुर, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, बरेली, गोरखपुर, मेरठ और नोएडा क्षेत्र को रखा गया है। ‘बी’ श्रेणी में मुरादाबाद, अलीगढ़, झांसी, सहारनपुर, मथुरा, रामपुर, मीरजापुर, शाहजहांपुर, अयोध्या, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनगर और फर्रुखाबाद हैं, जबकि बाकि जिलों के नगरों को ‘सी’ श्रेणी का दर्शाया गया है।
निर्धारित फीस से ज्यादा लेने पर होगी कार्रवाई
शासनादेश में यह स्पष्ट लिखा गया है कि निर्धारित दर से अधिक फीस लेने पर संबंधित चिकित्सालय अथवा प्रयोगशाला के खिलाफ एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 और उप्र महामारी कोविड-19 विनियमावली के अन्र्तगत दंडनीय कार्रवाई होगी। शासनादेश की प्रतियां सभी जिलाधिकारियों समेत अन्य संबंधित अधिकारियों को भेजी गयी है।