कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए यूपी सरकार ने अपने मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करना शुरू कर दिया है। मौजूदा हालात से निपटने के लिए जारी सारी व्यवस्थाओं को इस तरह बनाया जा रहा है ताकि आगे भी वह उपयोगी साबित हो सकें।
कोविड अस्पताल, बेड, उपकरण, वेंटिलेटर, जांच यंत्र, दवाइयां, पैरा मेडिकल स्टाफ इन सबमें बढ़ोतरी की जा रही है। दूरगामी लक्ष्य को देखते हुए ही मुख्यमंत्री ने कोविड अस्पतालों में दुगने बेड करने को कहा है। नान कोविड अस्पताल में भी यह व्यवस्था की जा रही है।
गांवों में संक्रमण की प्रबल आशंका को देखते हुए चिकित्सा सुविधाएं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोविड चिकित्सा सुविधा से लैस किए जा रहे हैं। आने वाले समय में डाक्टरों व पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी को स्थाई रूप से दूर की जाएगी। मुख्यमंत्री ने चिकित्सा विशेषज्ञों की आशंका को गंभीरता से लेते इस पर दीर्घकालीन योजना बनाने को भी कहा है।
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कोरोना काल में उत्तर प्रदेश अब ऑक्सीजन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की तैयारी कर रहा है ताकि लाखों मरीजों को एक वक्त में जरूरत पड़ने पर आक्सीजन की आपूर्ति की जा सके। इसके लिए बड़े पैमाने पर निजी निवेशक विभिन्न जिलों में आक्सीजन प्लांट लगा रहे हैं।
सरकार को कोशिश उत्पादन ही नहीं, उसकी आपूर्ति, परिवहन, टैंकर यानी पूरी लाजस्टिक चेन की मुकम्मल व्यवस्था करने की है। इसीलिए जल्द यूपी आक्सीजन उत्पादन आपूर्ति नीति बनने जा रही है। यही नहीं आक्सीजन के टैंकर से उपयुक्त तरीके से अनलोड करने, उसे अस्पताल तक आसानी से पहुंचाने पर पहुंचाने व इस काम में लगे स्टाफ को प्रशिक्षित करने जैसे काम भी किए जाएंगे। अभी इन सब मामलों में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।
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पिछले साल कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए की गई व्यवस्थाएं बाद में कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ते ही चालू रहना बंद हो गईं। चाहे वह अस्थाई अस्पताल जारी रखने का मामला हो, निगरानी समितियां हो या कांट्रेक्ट ट्रेसिंग की व्यवस्था। इस कारण मार्च महीने में जब कोरोना बढ़ा तो शुरुआती दिक्कते आनी लगीं। बाद में सरकार ने बेहतर कोविड प्रबंधन से स्थिति संभाल ली लेकिन उससे सबक भी लिया।