उत्तर प्रदेश सरकार गेहूं की अब तक की सबसे ज्यादा खरीद का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने जा रहा है। राज्य सरकार ने अब तक लगभग 51.05 लाख मीट्रिक टन उपज खरीदी है। खरीदी 1 अप्रैल को शुरू होने के बाद से 11.54 लाख से अधिक किसानों को लाभ हुआ है। सत्र 2020-21 में इसी अवधि का आंकड़ा मात्र 29.92 लाख मीट्रिक टन था।
अधिकारियों ने कहा कि वे 2018-19 में की गई 52.92 एलएमटी की सर्वकालिक उच्च रिकॉर्ड खरीद को पार कर सकते हैं। इस साल की खरीद पिछले रिकॉर्ड को तोड़ने की उम्मीद है, क्योंकि राज्य में खरीद 15 जून तक जारी रहेगी।
खाद्य और आपूर्ति आयुक्त मनीष चौहान ने कहा, “कोविड महामारी की दूसरी लहर से उत्पन्न स्थिति के बावजूद, हम हर दिन लगभग 1 एलएमटी गेहूं खरीद रहे हैं। 11 जून को किसानों से लगभग 1.19 एलएमटी की खरीद की गई थी।” योगी आदित्यनाथ सरकार ने 11.54 लाख किसानों से 10,082.99 करोड़ रुपये का गेहूं खरीदा है।
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पहली बार किसानों को ‘एक राष्ट्र, एक एमएसपी, एक डीबीटी’ के तहत बिना किसी देरी और कटौती के अपनी गेहूं की फसल की बिक्री के खिलाफ प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हुआ है। खरीद के 72 घंटे के भीतर भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने पहले ही किसानों को आश्वासन दिया है कि खरीद प्रक्रिया केवल निर्धारित खरीद लक्ष्य की पूर्ति तक सीमित नहीं है। इस साल सरकार ने गेहूं खरीद का कोई लक्ष्य तय नहीं किया है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को कोई समस्या ना हो, सरकार ने सात क्रय एजेंसियों को नामित किया है, जिनमें खाद्य और आपूर्ति विभाग, पीसीएफ, यूपीएसएस, यूपीपीसीयू, एसएफसी, मंडी परिषद और भारतीय खाद्य निगम शामिल हैं। मानसून आने से पहले राज्य सरकार भारी मात्रा में खरीदे गए गेहूं के सुरक्षित भंडारण के सभी इंतजाम कर रही है।
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इस वर्ष एक ऑनलाइन टोकन प्रणाली की व्यवस्था की गई है, जिसके तहत किसान अपनी सुविधा के अनुसार क्रय केंद्र पर गेहूं की बिक्री के लिए टोकन प्राप्त कर सकेंगे। क्रय केंद्रों की जियो-टैगिंग रिमोट सेंसिंग एप्लिकेशन सेंटर द्वारा की जा रही है, ताकि किसानों को केंद्रों का स्थान और पता आसानी से मिल सके। बिचौलियों को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने गेहूं की खरीद में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ परचेज (ई-पीओपी) मशीनें शुरू की हैं।