कोरोना संक्रमण के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार शहरी गरीबों को एक हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता देने जा रही है। इनका चयन करने के लिए सरकार ने जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति बना दी है।
समिति पात्रों का चिन्हीकरण कर उनका विवरण राहत आयुक्त कार्यालय की वेबसाइट पर फीड करेगी। सरकार ने नगर आयुक्तों व अधिशासी अधिकारियों को अपने-अपने शहर का नोडल अधिकारी बनाया है। डाटा सत्यापन के बाद इन अफसरों को प्रमाण पत्र देना होगा। इसके लिए सरकार ने 15 दिन का समय दिया है। ऐसे में 15 जून के बाद ही चयनित पात्रों को भरण पोषण भत्ता मिलने की उम्मीद है।
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डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी बना रही पात्रों की लिस्टआदेश जारी करने के साथ ही राज्य सरकार ने जिला स्तर पर पात्रों के चिन्हीकरण के लिए कमेटी गठित कर दी है। मुख्य सचिव के निर्देश पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हर जिले में गठित कमेटी पात्रों की लिस्ट तैयार कर रही है।
कमेटी में सीडीओ, एडीएम, वरिष्ठ कोषाधिकारी, नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी, नगर मजिस्ट्रेट, डीएसओ, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी शामिल किये गए हैं। कमेटी पात्र लोगों का चिन्हीकरण कर रही है। इसमें ठेला, खोमचा, रेहडी, खोखा, पटरी दुकानदार, पंजीकृत श्रमिक, दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक, कुली, पल्लेदार, नाविक, नाई, धोबी, मोची, हलवाई समेत रोज कमाकर खाने वालों को भत्ता मिलने वालों की लिस्ट में शामिल किया गया है। जीएसटी में पंजीकृत हलवाई को इस सुविधा में शामिल नहीं किया गया है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश सरकार प्रत्येक नागरिक के जीवन और जीविका की सुरक्षा के लिए संकल्पित है। उन्होंने बिना देरी के इसे पूरा करने के निर्देश दिए हैं। पिछले साल कोविड काल में सरकार ने रिक्शा चालकों, पटरी व्यवसायियों, निर्माण श्रमिकों, अंत्योदय श्रेणी समेत 55 लाख गरीब परिवारों को एक हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता और तीन महीने मुफ्त राशन वितरण किया था। सरकार ने गरीब परिवारों को सहारा देने के लिए 550 करोड़ रुपये खर्च किए थे।