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रामलला की बाललीलाओं का प्रतीक रहे त्रेता की धरोहर, दशरथ महल की वर्षों तक हुई अनदेखी

Dashrath Mahal

Dashrath Mahal

अयोध्या : चाहे वाल्मीकि रामायण हो, महान कवि तुलसीदास कृत रामचरित मानस हो या चलचित्र के आधुनिक रूपांतरण रामानंद सागर कृत रामायण ही क्यों न हो, रामलला के बाल्यकाल के सुलभ हठ, किलकारियां, हंसने-मुसकुराने, रोने-मनाने की लीलाओं का संबंध जिस महल के प्रांगण से था, त्रेतायुग से लेकर आज तक भी वह यथावत है। 22 जनवरी को रामलला अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान होंगे, तो उसी सुकोमल राजपुष्प के कदमों की आहट एक बार फिर सुनने के पूर्व दशरथ महल ( Dashrath Mahal) का यह प्रांगण भाव विह्वल हो उठा है। उन सरकारों से क्या उम्मीद की जाए, जो कभी सुप्रीम कोर्ट में राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया करती थीं।

अखिलेश सरकार में दशरथ महल ( Dashrath Mahal) के जीर्णोद्धार की कोशिशें तो हुईं मगर यह फाइलों में सिमट कर रह गईं। कभी एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर तो कभी एक मेज से दूसरे मेज, कभी बजट का बहाना तो कभी इच्छाशक्ति की कमी। इसका असर यह हुआ कि 31 मार्च 2013 में पहली बार दशरथ महल के जीर्णोद्धार के लिए करीब 2.4 करोड़ का प्रावधान हुआ पर इच्छाशक्ति के अभाव, लालफीताशाही और हीलाहवाली के कारण जीर्णोद्धार का इंतजार बढ़ता गया पर जब महंत योगी आदित्यनाथ सीएम बने तो 16 फरवरी 2021 को लिए गए उनके फैसले ने दशरथ महल से अनदेखी के बादलों को दूर कर नव वैभव की आभा से दैदीप्यमान करने का मार्ग प्रशस्त किया।

योगी सरकार के प्रयास ने इस महल को गौरवशाली आभा प्रदान की

हम बात कर रहे हैं उसी दशरथ महल ( Dashrath Mahal) की, जहां माता कौशल्या की गोद में पैजनिया पहने ठुमक कर चलते सकल ब्रह्मांड के नायक अपने पिता से चांद पाने का हठ कर लेते हैं और पिता थाली में जल सजाकर दर्पण के रूप में चंद्रमा के प्रतिबिंब को रामलला के लिए साकार कर देते हैं। चंद्रमा को देख पल भर में राम का रुदन पुलकित किलकारियों में परिवर्तित हो गया, जिसकी प्रतिध्वनि से पूरा महल गुंजायमान हो उठता था।

क्या माता-क्या पिता, क्या राजा-क्या प्रजा, पुलकित आह्लादित उस सुकुमार के दैदीप्य मुखमंडल पर अपना सब कुछ हार जाने वाली अयोध्या का साक्षी रहा यह खास महल तबसे लेकर अब तक विद्यमान है। इस महल ने त्रेतायुग में साकार राम को देखा और अब कलि काल में भी जल्द ही अपने प्रिय लला को पुनर्प्रतिष्ठित होने की घड़ी देखने वाला है। यह वही दशरथ महल है, जो 500 साल के पराभव काल के दौरान भी मौजूदा रामजन्म भूमि क्षेत्र पर श्रीराम के मंदिर होने के साक्ष्यों की गवाही देता रहा। वर्षों की उपेक्षा के बाद योगी सरकार के प्रयास ने इस महल रूपी मंदिर को गौरवशाली आभा प्रदान की है।

कभी बनते थे एस्टिमेट, घूमती भी फाइल, पर अमलीजामा योगी ने पहनाया

31 मार्च 2013 को पहली बार दशरथ महल के सौंदर्यीकरण का प्रावधान यूपी सरकार ने किया, लेकिन 2017 तक प्रक्रिया जटिल कागजी प्रणाली में उलझकर रह गई। कभी एस्टिमेट बनते तो कभी फाइल, एक टेबल से दूसरे टेबल तक जाने का यह क्रम चलता रहा। इस क्रम को बदलने का कार्य किया योगी आदित्यनाथ ने। योगी सरकार ने दशरथ महल के जीर्णोद्धार व सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाते हुए करीब तीन करोड़ रुपये के जरिए सत्संग भवन, प्रवेश द्वार, रैन बसेरा व यात्री सहायता केंद्र के निर्माण- पुनरोद्धार व सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया को मूर्त रूप देना प्रारंभ किया। समाजवादी पार्टी की सरकार में 2.4 करोड़ का प्रावधान था, लेकिन इसकी फाइल घूमती रही और दिनोदिन लागत बढ़ती गई। योगी सरकार ने करीब तीन करोड़ रुपये खर्च कर इसे सुसज्जित कर दिया।

चार में से दो परियोजना पूर्ण, 22 के पहले प्रवेश द्वार व सत्संग भवन का काम भी हो जाएगा पूरा

दशरथ महल ( Dashrath Mahal) में रैनबसेरा, यात्री सहायता केंद्र, प्रवेश द्वार व सत्संग भवन का कार्य कराने के लिए धन अवमुक्त किया गया था। रैन बसेरा, यात्री सहायता केंद्र का कार्य 2023 में पूर्ण हो चुका है। प्रवेश द्वार भी लगभग पूर्णता की ओर है। पहले यहां सत्संग भवन में केवल संरचना का कार्य पूर्ण हुआ था पर अब यह सत्संग भवन भी 22 जनवरी के पहले बनकर तैयार हो जाएगा। 650 स्कवायर मीटर में बने सत्संग भवन में मिट्टी, लेवलिंग, टाइल्स, फ्लोरिंग, विंडो, दरवाजे लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है। उप्र निर्माण निगम की देखरेख में सत्संग भवन में मंच भी तैयार हो चुका है। एई बीवी निरंजन के मुताबिक सत्संग भवन में लगभग 300 से 350 सत्संगी एक साथ कीर्तन-भजन की गंगा में डुबकी लगा सकेंगे। एक दिसंबर से शुरू हुआ निर्माण कार्य 22 जनवरी के पहले हर हाल में पूर्ण हो जाएगा।

2017 के बाद का दशरथ महल ( Dashrath Mahal)

फसाड लाइटः यह दशरथ भवन की तरफ श्रद्धालुओं को भौतिक रूप से आकर्षित करती है। इसकी शोभा काफी विशिष्ट सज्जा से आभा प्रदान करता है।

उत्कृष्ट साज सज्जाः भवन का जीर्णोद्धार, चूना-सुर्खी से पुताई, चहारदीवारी का सुदृढ़ीकरण, पहले से खड़े स्ट्रक्चर को श्रद्धालुओं की आस्था के अनुरूप सुसज्जित किया गया। यहां श्रीराम के जीवन को चित्रित करते हुए वाल पेंटिंग, रामचरित मानस के दोहे लिखे हैं।

सत्संग भवनः यहां 80 फीसदी से अधिक काम हो गए हैं। 22 जनवरी तक यह पूर्ण हो जाएगा। इसके बाद यहां भजनानंदी कीर्तन-सत्संग कर श्रीराम के चरणों में अपनी श्रद्धा निवेदित कर सकेंगे।

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प्रवेश द्वारः पुराने वैभव को संरक्षित करते हुए आधुनिकता का समावेश किया गया है। लंबे समयावधि तक टिकाऊ रहने वाले पेंट-कोटिंग की परत चढ़ाने का कार्य चल रहा है।

रैन बसेराः रैन बसेरा यहां बनकर तैयार है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिल रहा है।

यात्री सहायता केंद्रः यहां आने वाले श्रद्धालुओं को यहां की समृद्ध विरासत, ऐतिहासिक महत्व, सांस्कृतिक योगदान व आध्यात्मिक महत्व के बारे में अवगत कराता है।

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