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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कस दी जापानी इंसेफेलाइटिस पर नकेल

Writer D by Writer D
18/08/2023
in उत्तर प्रदेश, गोरखपुर, राजनीति
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CM Yogi
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गोरखपुर। चार दशक तक पूर्वी उत्तर के मासूमों पर कहर बरपाने वाली महामारी जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis)  ;जेई. पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) ने अंतर विभागीय समन्वित प्रयासों से नकेल कस दी है।

आधिकारिक प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि गोरखपुर मंडल में पिछले पांच साल के दौरान जापानी इंसेफेलाइटिस के कुल 322 मरीज मिले। इनमें से मात्र 26 की मौत हुई। मौतों की यह संख्या इस वर्ष अबतक शून्य, पिछले वर्ष एक और उसके पहले के वर्ष में महज तीन रही।

वर्ष 2017 के पूर्व जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis)  से होने वाली मौतों की संख्या प्रतिवर्ष सैकडों और किसी किसी वर्ष हजारों में होती थी। उन्होंने बताया कि स्थिति इतनी भयावह थी कि पूर्व की सरकारों ने इस बीमारी के आगे घुटने टेक दिए थे।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1978 में पहली बार दस्तक देने वाली इस विषाणु जनित बीमारी की चपेट में 2017 तक हजारों बच्चे असमय काल के गाल में समा गए और जो बचे भी उनमें से अधिकांश जीवन भर के लिए शारीरिक व मानसिक विकलांगता के शिकार हो गए ।

पिछले पांच वर्षों में ये आंकड़े दहाई से होते हुए इकाई में सिमटते हुए शून्य की तरफ हैं। आंकड़ों की तुलना से यह बात स्थापित भी होती है। मसलन 2017 में गोरखपुर मंडल में जापानी इंसेफेलाइटिस के कुल 389 मरीज मिले थे जिनमें से 51 की मौत हो गई थी जबकि 2022 में मरीजों की संख्या 50 और मृतकों की संख्या मात्र एक रही। वर्ष 2023 में 11 अगस्त तक मंडल में सिर्फ चार जेई मरीजों का पता चला और ये सभी स्वस्थ होकर अस्पतालों से डिस्चार्ज हो गए। 2017 के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि जेई मरीजों की संख्या में 87 फीसद और मृतकों की संख्या में 98 प्रतिशत कमी आई है।

जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) को काबू में करने का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। योगी ने इस महामारी को बतौर सांसद लोकसभा में हमेशा आवाज उठाने के साथ तपती दोपहरी में सड़कों पर आंदोलन किया है। लिहाजा मुख्यमंत्री बनने के बाद टॉप एजेंडा में शामिल कर उन्होंने इंसेफेलाइटिस उन्मूलन का संकल्पित व समन्वित कार्यक्रम भी लागू किया।

मुख्यमंत्री योगी (CM Yogi) इस महामारी को जड़ से मिटाने के अपने संकल्प को लेकर स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के साथ स्वच्छता, शुद्ध पेयजल और जागरूकता को मजबूत हथियार माना। इसी ध्येय के साथ उन्होंने अपने पहले ही कार्यकाल में संचारी रोगों पर रोकथाम के लिए .दस्तक अभियान. का सूत्रपात किया। यह अंतर विभागीय समन्वय की ऐसी पहल थी जिसने इंसेफेलाइटिस उन्मूलन की इबारत लिखने को स्याही उपलब्ध कराई।

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दस्तक अभियान में स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, महिला एवं बाल कल्याण आदि विभागों को जोड़ा गया। आशा बहुओं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, एएनएम, ग्राम प्रधान, शिक्षक स्तर पर लोगों को इंसेफेलाइटिस से बचाव के प्रति जागरूक करने की जिम्मेदारी तय की गई। गांव.गांव शुद्ध पेयजल और हर घर में शौचालय की व्यवस्था करने का युद्ध स्तरीय कार्य हुआ। घर.घर दस्तक देकर बच्चों के टीकाकरण के लिए प्रेरित किया गया।

दस्तक अभियान के नतीजे भी शानदार रहे हैं। टीकाकरण जहां शत प्रतिशत की ओर अग्रसर है तो वहीं ग्रामीण स्तर पर आशा बहुओं द्वारा फीवर ट्रेकिंग किये जाने ,सरकारी जागरूकता और स्वच्छता संबंधी प्रयासों से इंसेफेलाइटिस के मामलों और इससे मृत्यु की रफ़्तार पूरी तरह काबू में आ गई है।

सूत्रों ने बताया कि मार्च 2017 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) की प्राथमिकता यह भी थी कि एक भी इंसेफेलाइटिस मरीज इलाज से वंचित न रह जाए। उनके कमान संभालने तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस के इलाज का केंद्र बिंदु गोरखपुर का मेडिकल कॉलेज ही था। मरीजों की संख्या के मुकाबले यहां तब इंतजाम भी पर्याप्त नहीं थे। योगी ने मेडिकल कालेज में चिकित्सकीय सेवाओं को मजबूत करने के साथ उन्होंने ऐसी व्यवस्था बना दी कि मरीज को समुचित इलाज गांव के पास ही मिल जाए। इस कड़ी में सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों ;सीएचसी.पीएचसी. को इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर के रूप में विकसित कर इलाज की सभी सुविधाएं सुनिश्चित कराई गईं।

Tags: gorakhpur newsJapanese Encephalitisup newsYogi News
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