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योगी सरकार ने सरकारी वकीलों पर कसा शिकंजा, अपर महाधिवक्ता को हटाया

लखनऊ। यूपी में योगी सरकार (Yogi Government) ने सरकारी वकीलों (Lawyers) पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। वकीलों (government lawyers) की छंटनी के लिए बकायदा स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई है। अब न्याय-विभाग की जिम्मेदारी भी सीएम के पास है। लिहाजा सीएम ने ऐसे वकीलों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जो अयोग्य हैं।

खबर है कि इसी के तहत अपर महाधिवक्ता ज्योति सिक्का और स्थायी अधिवक्ता अमित शर्मा को हटाया गया है। खबर है महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने भी महाधिवक्ता कार्यालय खाली कर दिया है और आवंटित गाड़ी और स्टाफ भी वापस कर दिया है। अब नए महाधिवक्ता की नियुक्ति की तैयारी चल रही है।

सरकारी वकीलों (government lawyers) की होगी स्क्रीनिंग

सीएम योगी (CM Yogi) ने न्याय-विभाग में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। न्याय- विभाग में सुधार और अयोग्य वकीलों को हटाने के लिए स्क्रीनिंग शुरु हो चुकी है। सरकारी वकीलों (government lawyers) की नियुक्ति और उनके परफॉर्मेंस के आधार पर स्क्रीनिंग होगी। लंबे समय से इन विभागों में जमे हुए वकीलों को लेकर भी सीएम सख्त हैं। सरकार की ओर से डेढ़ हजार से ज्यादा सरकारी वकील और वादधारक नियुक्त किए गए हैं।

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न्याय विभाग ले रहा है वादधारकों का इंटरव्यू

सरकारी वकीलों की लचर पैरवी से अदालत में सरकार और न्याय विभाग की लगातार किरकिरी हो रही है। सरकार को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि सरकारी वकीलों और वादधारकों का काम ठीक नहीं है। लिहाजा, विभाग ऐसे वादधारकों का बकायदा इंटरव्यू लेकर परखने की कोशिश की जा रही है। वादधारकों की स्क्रीनिंग में उनसे कानून और उनके अनुभव के बारे में जानकारी ली जा रही है। रिट और भारतीय संविधान के अनुच्छेदों के बारे में सवाल किए जा रहें है। इतना ही नही उनके नियुक्ति किसके जरिए हुई, इस बारे में भी सवाल पूछा जा रहा है।

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सरकारी वकील कोर्ट में नहीं जाते

सीएम के पास सूचना पहुंची है कि तमाम सरकारी वकील कोर्ट तक नहीं जाते हैं। उनकी ओर से प्रति शपथ पत्र समय से दाखिल नहीं किए जा रहे हैं। इसकी वजह से सरकार के वरिष्ठ अफसर अक्सर अदालत में तलब कर लिए जाते हैं। सरकार की छवि धूमिल होती है, सो अलग। सरकार को यह भी सूचना मिल रही थी कि सरकारी वकील कोर्ट नहीं जाते हैं और अपने सीनियर से मिलकर उपस्थिति दर्ज करवा लेते हैं।

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