प्रयागराज। आज यानी मंगलवार (28 मार्च 2023) को अतीक अहमद (Atiq Ahmed) को उमेश पाल अपहरण केस में एमपी-एमएलए कोर्ट का फैसला जो भी आए, लेकिन एक बात तो साफ है कि अब यूपी पुलिस और योगी सरकार आसानी से अतीक को गुजरात वापस नहीं होने देगी। उमेश पाल अपहरण केस में मंगलवार को सजा का एलान होने के बाद अतीक की मुश्किलें और बढ़ना तय माना जा रहा है। दरअसल, अतीक (Atiq Ahmed) को उमेश पाल अपहरण कांड के बाद राजूपाल हत्याकांड में भी सजा सुनाई जानी है। इस मामले की जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारियों के मुताबिक आगामी एक माह में राजूपाल हत्याकांड के दोषियों को सजा सुनाई जा सकती है।
वहीं दूसरी ओर प्रयागराज आने के बाद अतीक (Atiq Ahmed) को उमेश पाल की हत्या के मामले में पुलिस अदालत में अर्जी देकर अपनी कस्टडी में लेगी। इसके बाद उसे पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेने के लिए दोबारा अदालत का रुख करेगी। उमेश पाल हत्याकांड का मुख्य आरोपी होने की वजह से अदालत की मंजूरी मिलने पर उससे गहन पूछताछ की जाएगी। इस प्रक्रिया में करीब एक माह का वक्त लग सकता है। इसके बाद राजूपाल हत्याकांड पर फैसला आने की उम्मीद है। वहीं उमेश पाल हत्याकांड के बाद राज्य सरकार अतीक के खिलाफ दर्ज मुकदमों की मजबूत से पैरवी करने में जुट गई है। एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय खुद हर मामले की गहनता से मॉनिटरिंग कर रहे हैं। ऐसे हालात में अतीक की गुजरात वापसी की राह आसान नहीं दिख रही है।
वर्ष 2006 में उमेश पाल के अपहरण के जिस मामले में अतीक (Atiq Ahmed) और उसके भाई अशरफ को सजा सुनाई जानी है, उसमें इन दोनों के अलावा दिनेश पासी, खान शौकत हनीफ, जावेद, फरहान, आबिद, इसरार, आशिफ उर्फ मल्ली, एजाज अख्तर और अंसार बाबा भी आरोपी हैं। इनमें से अंसार बाबा की मृत्यु हो चुकी है। इस प्रकरण में अतीक और बाकी आरोपियों की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल की गई दो याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। इस पर वे सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। हालांकि उमेश पाल ने पहले ही कैविएट दाखिल कर दी थी जिसकी वजह से 17 फरवरी को अतीक की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी गई। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने छह माह में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया। अदालत ने इस प्रकरण की रोजाना सुनवाई शुरू कर दी।
पांच मामलों में पैरवी हुई तेज
अभियोजन निदेशालय ने अतीक (Atiq Ahmed) और उसके गैंग के सदस्यों के खिलाफ अदालत में चल रहे पांच अन्य मुकदमों की पैरवी तेज कर दी है। इन मामलों में अभी आरोप तय नहीं होने से विचारण शुरू नहीं हुआ है। इनमें 19 जनवरी 1996 में प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में अशोक कुमार साहू की हत्या का मामला शामिल है जिसमें अतीक और अशरफ भी आरोपी हैं।
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इसी तरह वर्ष 2002 में जमीन के विवाद में नसीम अहमद की हत्या के मामले की पैरवी भी तेज कर दी गई है। उन दस मामलों की भी दोबारा समीक्षा हो रही है, जिनमें अतीक व अन्य आरोपी दोषमुक्त हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि अतीक के खिलाफ वर्ष 1992 से अब तक सौ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। बीते एक साल में दर्ज पांच मुकदमों की पुलिस विवेचना अभी जारी है।
अतीक (Atiq Ahmed) पर हत्या के 12 मुकदमे
अतीक पर अब तक हत्या के 12 मुकदमे दर्ज रहे है। प्रयागराज के खुल्दाबाद में वर्ष 1984, कौशांबी के पिपरी थाने में वर्ष 1991, करैली में वर्ष 2001 और कर्नलगंज में वर्ष 2002 में दर्ज हत्या के मुकदमों में वह दोषमुक्त हो चुका है। वहीं वर्ष 2005 में धूमनगंज थाने में दर्ज मुकदमा (राजूपाल हत्याकांड) और वर्ष 2002 में खुल्दाबाद थाने में दर्ज मुकदमे (नसीम अहमद हत्याकांड) में साक्ष्य प्रस्तुत किए जा चुके हैं। वर्ष 1996 में सिविल लाइंस इलाके में दर्ज मुकदमा हाजिरी में लगा है। वहीं 1995 में कर्नलगंज थाने में दर्ज हत्या के मामले में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। इसके अलावा उमेश पाल हत्याकांड में दर्ज मुकदमे की विवेचना अभी जारी है।