उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार लाॅजिस्टिक्स सेक्टर के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के लिये छह मापदंडों पर कार्य करेगी।
अपर मुख्य सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आलोक कुमार ने रविवार को कहा कि सुदृढ़ लाॅजिस्टिक्स सुविधाओं की स्थापना के लिए राज्य सरकार छह मापदंडों पर कार्य करेगी, जिसमें ‘प्रतिस्पर्धी दरों पर लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था में सुगमता’,‘लॉजिस्टिक्स अवस्थापना की गुणवत्ता’,‘लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाताओं की गुणवत्ता’,‘कार्गो परिवहन की सुरक्षा’,‘विनियामक प्रक्रिया (रेगुलेटरी प्रॉसेस) की दक्षता’ तथा ‘राज्यस्तरीय समन्वय एवं सुविधा’ शामिल हैं।
उन्होने कहा कि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को ‘उद्योग का दर्जा’ प्रदान करने से इस सेक्टर के लिये भूमि की लागत में काफी कमी आई है, इसके अलावा राज्य सरकार ने पहले ही इस सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए कई नए प्राविधान किए हैं। परिणामतः वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित हो रहा है, इस सेक्टर में अब तक लगभग 438 करोड़ रुपये के कुल छह निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
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सरकार ने श्री कुमार को लाॅजिस्टिक्स क्षेत्र के समग्र विकास के मकसद से राज्यस्तरीय एकीकृत लॉजिस्टिक्स योजना के निरूपण के लिए नोडल अधिकारी नामित किया है। उद्योगों की सुविधा के लिये आपूर्ति श्रृंखलाओं (सप्लाई चेन) और भण्डारण (वेयरहाउसिंग) सुविधाओं के विकास के लिए श्री कुमार की अध्यक्षता में नवगठित राज्यस्तरीय लाॅजिस्टिक्स प्रकोष्ठ (सेल) केन्द्र सरकार के लाॅजिस्टिक्स डिवीजन से समन्वय स्थापित करते हुए कार्य करेगा।
राज्य सरकार के अन्य संबंधित विभाग जैसे- नियोजन, परिवहन, नागरिक उड्डयन, राजस्व, लोक निर्माण, निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो, यू.पी. एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) आदि उक्त सेल के प्रमुख सदस्य होंगे और केंद्रीय एजेंसियों जैसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई), भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई), आदि के नोडल अधिकारी सेल में विशेष आमंत्री होंगे।
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लाॅजिस्टिकस योजना की प्रगति और कार्यान्वयन के अनुश्रवण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्यस्तरीय लाॅजिस्टिक्स समन्वय समिति का गठन भी किया जाएगा।
औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा कि ‘आत्मानिभर भारत’ के निर्माण की पृष्ठभूमि में तथा कोविड-19 महामारी के दौरान सप्लाई चेन्स में अवरोधों के मद्देनजर इस प्रकार की एकीकृत योजना से प्रदेश में लाॅजिस्टिक्स एवं सप्लाई चेन के विकास के लिए समन्वित व केन्द्रित कार्यवाही सुनिश्चित हो सकेगी।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के प्रोत्साहन के लिये राज्य की नीति घोषित की थी। इसके अलावा हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने लाॅजिस्टिक्स क्षेत्र को कम लागत और कम परिवर्तन शुल्क पर भूमि सुलभ कराने के लिए राज्य की भूमि उपयोग नीति को युक्तिसंगत बनाया है।
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तदनुसार लॉजिस्टिक्स पार्क और इकाइयों के लिए औद्योगिक भूमि-उपयोग परिवर्तन शुल्क लागू करने के लिए राज्य के विकास प्राधिकरण अपने जोनिंग नियमों, मास्टर प्लान और उपनियमों में संशोधन कर रहे हैं। इसके अलावा लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित करने के लिए पात्रता सीमा को 50 एकड़ से घटाकर 25 एकड़ कर दिया गया है।
एक्सप्रेसवेज़ के नेटवर्क के साथ ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) का जंक्शन ग्रेटर नोएडा के दादरी में है, इसलिये इसको भारत में सबसे बड़े लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित करने की योजना है। राज्य में बोडाकी और वाराणसी में मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स व ट्रांसपोर्ट हब विकसित किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश निजी लॉजिस्टिक पार्क नीति घोषित करने वाले अग्रणी राज्यों में से एक है।
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देश में सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों में से एक जेवर में आगामी नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से राज्य की लाभ की स्थिति में वृद्धि होगी। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के अन्तर्गत् हल्दिया के पूर्वी बंदरगाह से वाराणसी तक कार्गो के परिवहन की सुविधा सहित राज्य में निर्मित वायु, जल, सड़क और रेल नेटवर्क के कनेक्टिविटी नेटवर्क के फलस्वरूप उद्योगों और मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों को परिवहन के विभिन्न माघ्यमों को निर्बाध रूप से उपयोग कर भारत और विदेशों के बाजारों में अपना माल भेजने में मदद मिलेगी। उडान रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत फोकस राज्यों में से एक होने के कारण प्रदेश में स्थानीय वायु कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए इस योजना के अन्तर्गत् 25 से अधिक मार्गों को चिन्हित किया गया है।